प्रयागराज: जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं.शुक्रवार जहां जमानतदार द्वारा जमानत वापस लेने पर धनंजय सिंह की जमानत निरस्त कर जेल भेज दिया गया.वहीं जौनपुर के ही दूसरे मामले में कोर्ट ने धनंजय सिंह समेत चार आरोपियों पर आरोप तय कर दिया है.अब इस मामले की सुनवाई भी एक अप्रैल से ही होगी. बता दें कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने शुक्रवार को प्रयागराज स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था.
पूर्व सांसद पर गैंगस्टर के केस में आरोप तय
जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के ऊपर जिले के केराकत थाने में 2017 में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया गया था.जिसमें धनंजय सिंह के साथ ही आशुतोष सिंह ,सुशील सिंह उर्फ डब्बू और पुनीत सिंह को भी आरोपी बनाया गया था.इस मामले में प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी.जिसके बाद शुक्रवार को ही इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने धनंजय सिंह समेत चारों आरोपियों पर आरोप तय कर दिया.कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए एक अप्रैल की तारीख तय की है.जिसके साथ ही अब इस मामले में गवाहों के गवाही देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा.
कानून के जानकार बता रहे हैं इसे पूर्व सांसद की रणनीति
वहीं कानून के जानकार वकीलों का कहना है कि धनंजय सिंह की तरफ से इस मामले में पहले से तय योजना के तहत चार्जशीट दाखिल करवायी गयी है.जिसके बाद कोर्ट ने धनंजय सिंह समेत चारों आरोपियों पर आरोप तय कर दिया है.जिसके बाद अब इस मामले केस से जुड़े आरोपी और दूसरे गवाहों की गवाही शुरू हो जाएगी.स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में आरोप तय होने के बाद धनंजय सिंह को प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में ही रखा जाएगा. वहीं दूसरी तरफ लखनऊ पुलिस ने चर्चित अजीत सिंह हत्याकांड में पूर्व सांसद को आरोपी बनाने के साथ ही 25 हजार का इनाम घोषित कर दिया था.जिसके बाद सुनियोजित तरीके से जमानत दार अपनी जमानत वापस लेता है और बाहुबली पूर्व सांसद को जमानत निरस्त होने की वजह से जेल जाना पड़ता है.
कुर्की की कार्रवाई रोकने के लिए धनंजय ने कोर्ट में किया था सरेंडर
मऊ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या में आरोपी बनाए गए पूर्व सांसद धनंजय सिंह की तलाश में पुलिस दिल्ली, जौनपुर व लखनऊ में छापेमारी कर रही थी. पुलिस ने धनंजय को भगोड़ा घोषित कर उस पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था. यही नहीं इनाम की राशि बढ़ाने के लिए डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन ने उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा था. शुक्रवार को पुलिस इनाम की राशि 25 से बढ़ाकर 50 हजार करने की तैयारी कर ही रही थी कि धनंजय सिंह ने सरेंडर कर दिया था. खास बात यह है कि लखनऊ पुलिस ने पूर्व सांसद की संपत्तियों का ब्यौरा निकालकर प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्स को भेजा था. इन संपत्तियों को अपराधिक गतिविधियों से अर्जित करने का आरोप लगाकर पुलिस ने इन्हें जब्त करने के लिए पत्राचार किया था. पुलिस का शिकंजा कसता देखकर धनंजय ने दूसरे मामले में जमानत तुड़वाकर जेल जाना उचित समझा. बताया जा रहा है कि कुर्की की कार्रवाई रोकने के लिए धनंजय ने यह कदम उठाया था.
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ये था मामला
मऊ के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की 6 जनवरी को विभूतिखंड के कठौता चौराहे के पास गैंगवार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में अजीत के साथी मोहर सिंह ने गिरधारी उर्फ डॉक्टर, अखंड सिंह और कुंटू सिंह के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कराई थी. पड़ताल में हत्या की साजिश में धनंजय के शामिल होने की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने पूर्व सांसद के गिरफ्तारी वारंट जारी कराया था. तब से धनंजय सिंह फरार थे.
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