प्रयागराज: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के 15वें दीक्षांत समारोह का समापन हो गया. समारोह में अध्यक्षता करते विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विकास का पहला आधार शिक्षा है. शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है. शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का स्वास्थ्य और पोषण आवश्यक है. इसके लिए परिवार और शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है.
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को संसाधन मुहैया कराने से प्रभु श्री राम के दर्शन करने जैसे संतोष का अनुभव होता है. उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने की पहल करते हुए कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों का विकास देश का विकास है. उन्होंने कहा कि माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का यह दायित्व है कि वह पांच-पांच आगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेकर उनके उन्नयन एवं संवर्धन का कार्य करें.
श्रीमती पटेल ने कहा कि यदि हमें उच्च शिक्षा के 50% शैक्षिक सूचकांक को प्राप्त करना है तो प्राथमिक शिक्षा का स्तर उठाने के साथ ही साथ नामांकन निपात को भी बढ़ाना होगा. इसके लिए उन्होंने पांच वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने का आह्वान किया. राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि दहेज जैसी सामाजिक कुप्रथा का उन्मूलन अति आवश्यक है. जिसके लिए उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाली छात्राओं का आह्वान किया कि वह सब मिलकर इस तरह की कुरीतियों को दूर भगाएं. उन्होंने कहा कि समाज के सभी समस्याओं को दूर करने के लिए सतत प्रयास आवश्यक है. जब तक हमारे बीच सद्भाव एवं सदविचार नहीं आएंगे तब तक समाज का विकास नहीं होगा. विश्वविद्यालय का 15वां दीक्षांत समारोह अभूतपूर्व समारोह के रूप में याद किया जाएगा. पहली बार विश्वविद्यालय के अपने प्रेक्षागृह में जनपद के प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल के चयनित विद्यार्थियों के समूह को राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने सम्मानित किया.
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि मुकुल कानिटकर, अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय शिक्षण मंडल नागपुर ने दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह स्नातक के समावर्तन का उत्सव है. भारत की युवा पीढ़ी को हमारी उज्जवल, आध्यात्मिक एवं बौद्धिक परंपरा का स्वाध्याय पूर्वक आत्ममंथन करना चाहिए. हमारे प्राध्यापकों का भी यह परम कर्तव्य है कि वह छात्रों को अपने आचार, विचार और ज्ञान के अवबोध के माध्यम से प्रभावित करें.
श्री कानिटकर ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली की बाह्य संरचना एवं आंतरिक प्राणस्वर के रचनात्मक पुनर्निर्धारण का कार्य इस शताब्दी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. जिसके निदान का सूत्रपात राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने किया है. श्री कानिटकर ने कहा कि वर्तमान युग दूरस्थ शिक्षा का युग है. दूरस्थ शिक्षा ही देश के कोने-कोने में वंचित लोगों को शिक्षा उपलब्ध कराने का एकमात्र साधन है. जिसके द्वारा हम समय व दूरी की कठिनाइयों पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं. सामाजिक परिवर्तन की तीव्र गति के कारण विद्यार्थियों की बदलती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति दूरस्थ व मुक्त शिक्षा ही कर सकती है. कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने समूचे शैक्षिक जगत को नए संदर्भों में देखने के लिए बाध्य कर दिया है। जिसकी परिणति ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती लोकप्रियता के रूप में दिखाई पड़ रही है.
15वें दीक्षान्त समारोह में विभिन्न विद्याशाखाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले शिक्षार्थियों को 19 स्वर्ण पदक प्रदान किये गए. इनमें 05 स्वर्ण पदक छात्रों और 14 स्वर्णपदक छात्राओं की झोली में आए. दीक्षान्त समारोह में सत्र दिसम्बर 2019 तथा जून 2020 की परीक्षा के सापेक्ष उत्तीर्ण लगभग 28,659 हजार शिक्षार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 15,492 पुरूष और 13,167 महिला शिक्षार्थी रहे.
विश्वविद्यालय के सरस्वती परिसर स्थित नवनिर्मित अटल प्रेक्षागृह में कुलाधिपति स्वर्ण पदक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लक्ष्मी गुप्ता को दिया. लक्ष्मी गुप्ता ने बीएड विषय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और समस्त विद्याशाखाओं की स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाओं में उत्तीर्ण समस्त स्नातक, परास्नातक शिक्षार्थियों में सर्वाधिक 82.07 प्रतिशत अंक प्राप्त कर सर्वाधिक तीन स्वर्ण पदक प्राप्त किये. लक्ष्मी गुप्ता इस समय उच्च प्राथमिक विद्यालय, टेकु आपाती, सहजनवां, गोरखपुर में सहायक अध्यापक है.
विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक इस बार स्नातकोत्तर वर्ग में विद्या शाखाओं के 05 टापर्स को दिए गए, जिसमें मानविकी विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक सिंगासनी देवी, एमए संस्कृत के छात्र रंजय कुमार सिंह, एमए राजनीतिशास्त्र के छात्र रजत विश्वकर्मा, प्रबंधन अध्ययन विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, छात्रा तिवारी स्वाति रमाशंकर को, शिक्षा विद्याशाखा से एमए शिक्षाशास्त्र की छात्रा नेहा सिंह को और विज्ञान विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, एमएससी बायोकेमिस्ट्री के छात्र स्वप्निल चैहान को दिया गया.
इसी प्रकार स्नातक वर्ग में विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक इस बार विद्याशाखाओं के 6 टापर्स को दिया गया. जिसमें मानविकी विद्याशाखा से स्नातक बीए की छात्रा विभा यादव को, समाज विज्ञान विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, बीए की छात्रा रिद्धि सिंह, प्रबंधन अध्ययन विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, स्नातक बीकाम की छात्रा अंजली , कम्प्यूटर एवं सूचना विज्ञान विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, स्नातक बीसीए की छात्रा वीनस चैरसिया को, शिक्षा विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, स्नातक बीएड की छात्रा लक्ष्मी गुप्ता को तथा विज्ञान विद्याशाखा से विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, स्नातक बीएससी के छात्र अभिनन्दन यादव को प्रदान किया गया.
इस बार आठ मेधावी शिक्षार्थियों को दानदाता स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. जिसमें बाबू ओमप्रकाश गुप्त स्मृति स्वर्ण पदक, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत बीएड की छात्रा लक्ष्मी गुप्ता को, श्री कैलाशपत नेवेटिया स्मृति स्वर्ण पदक क्षेत्रीय केन्द्र, प्रयागराज अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत छात्रा शगुफ्ता खान को, स्व. अनिल मीना चक्रवर्ती स्मृति स्वर्ण पदक स्नातक वर्ग में रामस्वरूप ग्रामोद्योग स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पुखरायां, कानपुर देहात अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत स्नातक (बीए) की छात्रा रिद्धि सिंह को और एमए समाजकार्य में क्षेत्रीय अध्ययन केन्द्र गोरखपुर से पंजीकृत छात्रा आशा यादव को दिया गया. इसके साथ ही तीन अन्य दानदाता स्वर्ण पदक प्रो. एमपी दुबे पर्यावरण/गांधी चिन्तन एवं शान्ति अध्ययन उत्कृष्टता स्वर्ण पदक, मोतीलाल नेहरू डिग्री कालेज, कौंघियारा, प्रयागराज अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत मनीष कुमार मिश्रा और प्रो. एम.पी. दुबे दिव्यांग मेघा स्वर्णपदक टी.डी. कालेज, जौनपुर अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत छात्र शाहनवाज सिद्दिकी और महान राष्ट्रकवि श्रद्धेय पं. सोहन लाल द्विवेदी स्मृति स्वर्णपदक श्री बाबा साधवराम महाविद्यालय, कोईनहां, बरसरा खालसा, आजमगढ़ अध्ययन केन्द्र से पंजीकृत एम.ए. (हिन्दी) की छात्रा निकिता को दिया गया.
इससे पूर्व कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं मुख्य अतिथि मुकुल कानिटकर का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की गत वर्ष की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय अपने कार्यक्रमों की गुणवत्ता एवं समसामयिकता पर दृष्टि रखता है और केवल परिसर तक ही सीमित न होकर समाज में जन-जन तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है.
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