ETV Bharat / state

मतांतरण अध्यादेश की चुनौती याचिकाएं कोर्ट ने की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मतांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली छः याचिकाओं में संशोधन की अर्जी दाखिल कर, कानून को चुनौती देने की मांग नामंजूर कर दी है और याचिकाएं वापस करते हुए खारिज कर दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की  खंडपीठ ने दिया है.

author img

By

Published : Jun 23, 2021, 6:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहचान बदल कर लव जेहाद को रोकने के लिए यूपी में लाए गए मतांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते मे जवाब मांगा है, साथ ही याचिका को दोनों पक्षों के जवाब के प्रति जवाब आने के बाद सुनवाई के लिए अगस्त के दूसरे हफ्ते मे पेश करने का निर्देश दियें हैं. साथ ही मतांतरण अध्यादेश के खिलाफ दाखिल छः याचिकाओं को कानून बन जाने के कारण अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है. याचियों को नये सिरे से कानून की वैधता चुनौती याचिका दाखिल करने की छूट दी है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है. प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा और कानून की वैधता की चुनौती याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनीशिएटिव की ओर से दाखिल याचिका के जरिए मतांतरण कानून को चुनौती दी गई है. याचिका मे मतांतरण कानून को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा गया है कि सिर्फ सियासी फायदा उठाने के लिए यह कानून बनाया गया है. यह भी कहा गया कि इससे एक वर्ग विशेष के लोगों का उत्पीड़न भी किया जा सकता है. याचिकाओं में मतांतरण कानून के दुरुपयोग की भी आशंका जताई गई है.

कोर्ट ने कहा कि मतांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है. ऐसे में इसे लेकर लंबित याचिकाओं पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने इसी के साथ मतांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली छः याचिकाओं में संशोधन की अर्जी दाखिल कर, कानून को चुनौती देने की मांग नामंजूर कर दी है और याचिकाएं वापस करते हुए खारिज कर दी हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहचान बदल कर लव जेहाद को रोकने के लिए यूपी में लाए गए मतांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते मे जवाब मांगा है, साथ ही याचिका को दोनों पक्षों के जवाब के प्रति जवाब आने के बाद सुनवाई के लिए अगस्त के दूसरे हफ्ते मे पेश करने का निर्देश दियें हैं. साथ ही मतांतरण अध्यादेश के खिलाफ दाखिल छः याचिकाओं को कानून बन जाने के कारण अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है. याचियों को नये सिरे से कानून की वैधता चुनौती याचिका दाखिल करने की छूट दी है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है. प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा और कानून की वैधता की चुनौती याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा. एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनीशिएटिव की ओर से दाखिल याचिका के जरिए मतांतरण कानून को चुनौती दी गई है. याचिका मे मतांतरण कानून को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा गया है कि सिर्फ सियासी फायदा उठाने के लिए यह कानून बनाया गया है. यह भी कहा गया कि इससे एक वर्ग विशेष के लोगों का उत्पीड़न भी किया जा सकता है. याचिकाओं में मतांतरण कानून के दुरुपयोग की भी आशंका जताई गई है.

कोर्ट ने कहा कि मतांतरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है. ऐसे में इसे लेकर लंबित याचिकाओं पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है. कोर्ट ने इसी के साथ मतांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली छः याचिकाओं में संशोधन की अर्जी दाखिल कर, कानून को चुनौती देने की मांग नामंजूर कर दी है और याचिकाएं वापस करते हुए खारिज कर दी हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.