लखनऊः अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत (Mahant Narendra Giri death) की जांच अब सीबीआई ने संभाल ली है. मामले में सीबीआई (CBI) की पांच सदस्यीय टीम ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. सीबीआई की टीम 12 बिन्दुओं पर जांच करेगी.
बीते बुधवार को योगी सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने मामले की जांच के लिए केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार अपराह्न सीबीआई की टीम प्रयागराज पहुंच गई थी. इस टीम में पांच सदस्य हैं. केस हैंडओवर लेने से पहले सीबीआई की एक टीम ने केस की जानकारी ली थी. सीबीआई के साथ पुलिस लाइन में एसआईटी टीम और प्रयागराज पुलिस के आलाधिकारी भी मौजूद थे. सीबीआई ने FIR की कॉपी लेकर जांच की प्रक्रिया शुरु की थी, जिसके बाद शुक्रवार को सीबीआई ने जांच संभाली.
12 सवालों के जवाब ढूंढेंगी सीबीआई
इस मामले में अभी 12 ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मिलना बाकी है. सीबीआई इन सवालों का जवाब ढूंढकर केस का पर्दाफाश करेगी.
पहला सवाल- बिना पुलिस को सूचना दिए शिष्यों ने महंत नरेंद्र गिरि का शव फंदे से आए नीचे उतारा। जबकि उनके शिष्य अमर गिरि ने FIR दर्ज कराई है कि धक्का देकर दरवाजा खोला गया। प्राथमिक सूचना और FIR में अंतर क्यों?
दूसरा सवाल- बिना किसी की मदद के महंत नरेंद्र गिरि ने पंखे से फांसी का फंदा लगाया. अकेले ही सब कुछ किया और फांसी के फंदे पर झूलकर जान दे दी, जबकि भारी शरीर गठिया का रोग, फिर फंदा कैसे लगाए और कैसे चढ़े? उनके लिए यह आसान नहीं था कि बेड पर स्टूल रखकर चढ़ जाएं.
तीसरा सवाल- सबसे अहम सवाल है कि पुलिस के आने से पूर्व शव क्यों उतारा गया? पुलिस को सूचना भी नहीं दी। कमी में पंखा चल रहा था. नायलॉन की रस्सी तीन टुकड़ों में मिला. एक गले, दूसरा पंखे में, जबकि तीसरा कमरे में मेज पर था.
चौथा सवाल- सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए आनंद गिरि, मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को दोषी बताया. लेकिन इनका नाम सुसाइड नोट में तीन बार लिखा गया. नोट में कई स्थान पर ओवर राइटिंग और कटिंग भी की गई. सुसाइड नोट को वसीयत की तरह क्यों लिखा गया? सुसाइड नोट को टुकड़ों में लिखा गया है. एक तरफ नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए आनंद गिरि, मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे को मौत के लिए जिम्मेदार बताया है. वहीं दूसरी ओर मठ की संपत्ति के लिए वसीयतनामा लिखा है.
पांचवां सवाल- पहले भी कई आरोप लगे फिर इस आरोप पर ऐसा कदम क्यों? नरेंद्र गिरि पर कई बार संगीन आरोप लगे. प्रॉपर्टी के विवाद में पूर्व विधायक ने आरोप लगाया. नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि ने दो शिष्यों की हत्या का आरोप लगाया. इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि एक फर्जी आरोप में उन्होंने अपनी इहलीला समाप्त कर ली.
छठा सवाल- कमरे के पास का सीसीटीवी कैमरा खराब क्यों? मठ बाघंबरी गद्दी परिसर की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है. नरेंद्र गिरि के एक करीबी ने आरोप लगाया कि उनके कमरे के पास लगा सीसीटीवी खराब क्यों था. क्या इसे साजिश के तहत खराब किया गया.
सातवां सवाल- आत्महत्या उस कमरे में क्यों, जहां महंत कम रहते थे? नरेंद्र गिरि अपने विश्राम कक्ष में आराम करते थे. अतिथि गृह में वह तभी जाते थे जब कोई व्यक्ति बाहर से मिलने आता था. ऐसे में यह अहम सवाल है कि उन्होंने अपने एकांत कमरे को छोड़ कर बाहर बने अतिथि गृह में फांसी क्यों लगाई.
आठवां सवाल- महंत लिखने में हिचकते थे तो इतना बड़ा नोट कैसे लिखा? नरेंद्र गिरि से जुड़े संतों ने आरोप लगाया है कि वह अपना हस्ताक्षर करने में भी दस मिनट का समय लगाते थे. कोई भी काम होता था तो शिष्य ही लिखते थे. आखिर में वह हस्ताक्षर कर देते थे. ऐसे में सवाल उठना स्वभाविक है कि उन्होंने कब और कहां बैठकर 12 पेज लिख डाले.
नौवां सवाल- कौन कह रहा था कि वीडियो वायरल होगा, उसका जिक्र क्यों नहीं? नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में लिखा है कि हरिद्वार के एक व्यक्ति ने बताया कि आनंद गिरि उनकी फोटो एक महिला के साथ गलत काम करते हुए बनाकर वायरल करने जा रहा है. सवाल यह है कि उस व्यक्ति का नाम सामने क्यों नहीं आया.
दसवां सवाल- सीबीआई ने पूछा पिछले एक हफ्ते में कौन-कौन पुलिसकर्मी उनके साथ थे. किन-किन लोगों ने उनसे मुलाकात की मुलाकात के दौरान जो पुलिसकर्मी मौजूद थे क्या बातें हुई? इसके सवाल पूछे
ग्यारह सवाल- नरेंद्र गिरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी घटना के वक्त कहां थे. सभी के फोन के डिटेल्स और किसकी क्या लोकेशन थी? इसका भी जवाब लिया.
बारहवां सवाल- सुसाइड नोट से इतर एफआईआर क्यों कराई गई? नरेंद्र गिरि की मौत के बाद ही सुसाइड नोट मिल गया. सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस अफसरों ने अपना बयान जारी किया. इसके बाद आधी रात को सुसाइड नोट से इतर जार्जटाउन थाने में सिर्फ आनंद गिरि के खिलाफ ही क्यों मुकदमा दर्ज कराया गया.
बता दें कि 20 सितम्बर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने संदिग्ध अवस्था में सुसाइड कर लिया था. उनके कमरे से कई पन्नों वाला सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के लिए तीन नाम लिखे हुए थे. इसमें सबसे पहला नाम महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य रहे स्वामी आनंद गिरि का जबकि दूसरा नाम लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रहे आद्या तिवारी का था और तीसरा नाम आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी का लिखा हुआ था.
पुलिस ने आद्या तिवारी के अलावा आनंद गिरि को हरिद्वार से हिरासत में लिया था, तभी से पुलिस आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी की तलाश कर रही थी, जिसे डीआईजी द्वारा गठित एसआईटी ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया, जबकि शाम को पुलिस आनंद गिरि और आद्या तिवारी को कोर्ट में भी पेश कर चुकी है, जहां से कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. वहीं गुरुवार शाम को पुलिस ने संदीप को हिरासत में लेने के बाद सीजेएम की अदालत में प्रस्तुत किया. अदालत ने संदीप की जमानत अर्जी को अपराध की गंभीरता को देखते हुए खारिज कर दिया और उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेजने का आदेश दिया. अदालत में जमानत अर्जी खारिज होने के बाद संदीप को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
बता दें कि संत और उनके अनुयायी लगातार उनके द्वारा आत्महत्या करने की बात को नकार रहे हैं. नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में सीबीआई जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव ने याचिका भी दाखिल की है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने भी सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की थी. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद CBI ने आज शुक्रवार को जांच की कमान संभाल ली है.
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