प्रयागराज: श्री बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण से उसे क्षेत्र में स्थित कई प्राचीन मंदिरों के अस्तित्व को खतरा है. यह आशंका जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. जिस पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सरकार से इस मामले में जानकारी मांगी है.
याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता उत्कर्ष बिरला का कहना है कि प्रस्तावित कॉरिडोर के दायरे में मदन मोहन, राधा वल्लभ जी जैसे कई प्राचीन मंदिर आ रहे हैं, जो कि पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है. कॉरिडोर बनाए जाने से इनके अस्तित्व को खतरा हो सकता है. इस पर कोर्ट का कहना था कि अभी तो यह सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है. जिसके जवाब में अधिवक्ता ने बताया कि कई मंदिरों में मार्किंग कर दी गई है तथा कुछ स्थानों पर तोड़फोड़ का काम भी शुरू किया जा रहा है. जिस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
उल्लेखनीय है कि बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई जारी है. इसमें विवाद इस बात पर है कि मंदिर का प्रबंध करने वाले सेवायत कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर के फंड का उपयोग करने की अनुमति देने को तैयार नहीं है. जबकि राज्य सरकार कॉरिडोर का खर्च मंदिर को होने वाली आमदनी से करना चाह रही है. लंबे समय से जारी सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर समाधान निकालने का भी अवसर दिया था.
मगर उसका कोई हल नहीं निकला. वर्तमान में मंदिर पक्ष इस बात पर सहमत है कि यदि सरकार उनको किसी और स्थान पर 10 एकड़ जमीन वहां के सर्किल रेट पर उपलब्ध करा दे. तो वह मंदिर दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर देंगे या फिर प्रदेश सरकार कॉरिडोर बनाने का खर्च स्वयं उठावे. कोर्ट ने जब इस बाबत सरकार से जानकारी मांगी, तो प्रदेश सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि वह इन दोनों प्रस्तावों पर सहमत नहीं है. मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.