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आजम खान को फिलहाल अभी कुछ दिन और बिताने होंगे जेल में - azam khan news

अभी आजम खान को जेल में ही कुछ दिन और बिताने होंगे. शत्रु संपत्ति के आजम खान के आखिरी मामले में न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है.

इस वजह से आजम खां को अभी कुछ दिन और बिताने होंगे जेल में
इस वजह से आजम खां को अभी कुछ दिन और बिताने होंगे जेल में
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Published : May 5, 2022, 7:02 PM IST

Updated : May 5, 2022, 9:44 PM IST

प्रयागराजः अभी आजम खान को जेल में ही कुछ दिन और बिताने होंगे. शत्रु संपत्ति के आजम खान के आखिरी मामले में न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है. इस केस में जमानत मिलने पर रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के वकीलों व सरकार की तरफ से दी गई दलीलें सुनने के बाद शत्रु संपत्ति मामले में दर्ज मुकदमे में जमानत अर्जी पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है. इस मामले में यदि जमानत मिल जाती है तो आजम खान जेल से बाहर आ सकते हैं. अन्य आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है. हालांकि राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलो में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है. निर्णय सुरक्षित होने से अभी आजम को कुछ दिन और जेल में बिताने पड़ेंगे.


मामले के अनुसार अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्री वॉल से घेर लेने का आरोप है जिसे मौलाना जौहर अली ट्रस्ट द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है. पुलिस चार्जशीट दाखिल की गई है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है. चार दिसम्‍बर 21 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था.

29 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नये तथ्‍य पेश किए. सुनवाई के लिए 4 मई की तारीख तय की गई थी. 4 मई को हाईकोर्ट में लंबित केसों की सुनवाई 5 मई को हुई. गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं. इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है. सिर्फ एक मामला शत्रु सम्‍पत्ति का रह गया है.

मालूम हो कि आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है. इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी. आज़म खान के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान का कहना था कि विश्वविद्यालय 350 एकड जमीन में बना है.

अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है. कुछ सरकार ने पट्टे पर दिया है. 13 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है. जिलाधिकारी ने विश्वविद्यालय को लीज पर विवादित जमीन दी थी. 1700 रूपये प्रति एकड़ की दर से लीज दी गई थी. 20 अक्टूबर 2014 में कस्टोडियन ने लीज रद्द कर दी और वहीं जमीन बीएसएफ को दी गई है.

विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज की मांग में अर्जी दी जा रही है. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खां ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. मसूद खा ने इबारत लिखी है. शत्रु संपत्ति हड़पने के लिए वक्फ एक्ट के सारे उपबंधो को ताक पर रख दिया गया. 1369 फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है. उन्होंने दस्तावेज भी पेश किया. वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. आज़म ख़ान ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं. अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. मुख्य आरोपी वहीं है. वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने भी पक्ष रखा. सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने अपना फैसला दोबारा सुरक्षित कर लिया है.

प्रयागराजः अभी आजम खान को जेल में ही कुछ दिन और बिताने होंगे. शत्रु संपत्ति के आजम खान के आखिरी मामले में न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है. इस केस में जमानत मिलने पर रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के वकीलों व सरकार की तरफ से दी गई दलीलें सुनने के बाद शत्रु संपत्ति मामले में दर्ज मुकदमे में जमानत अर्जी पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है. इस मामले में यदि जमानत मिल जाती है तो आजम खान जेल से बाहर आ सकते हैं. अन्य आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है. हालांकि राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलो में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है. निर्णय सुरक्षित होने से अभी आजम को कुछ दिन और जेल में बिताने पड़ेंगे.


मामले के अनुसार अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्री वॉल से घेर लेने का आरोप है जिसे मौलाना जौहर अली ट्रस्ट द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है. पुलिस चार्जशीट दाखिल की गई है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है. चार दिसम्‍बर 21 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था.

29 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नये तथ्‍य पेश किए. सुनवाई के लिए 4 मई की तारीख तय की गई थी. 4 मई को हाईकोर्ट में लंबित केसों की सुनवाई 5 मई को हुई. गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं. इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है. सिर्फ एक मामला शत्रु सम्‍पत्ति का रह गया है.

मालूम हो कि आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है. इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी. आज़म खान के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान का कहना था कि विश्वविद्यालय 350 एकड जमीन में बना है.

अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है. कुछ सरकार ने पट्टे पर दिया है. 13 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है. जिलाधिकारी ने विश्वविद्यालय को लीज पर विवादित जमीन दी थी. 1700 रूपये प्रति एकड़ की दर से लीज दी गई थी. 20 अक्टूबर 2014 में कस्टोडियन ने लीज रद्द कर दी और वहीं जमीन बीएसएफ को दी गई है.

विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज की मांग में अर्जी दी जा रही है. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खां ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. मसूद खा ने इबारत लिखी है. शत्रु संपत्ति हड़पने के लिए वक्फ एक्ट के सारे उपबंधो को ताक पर रख दिया गया. 1369 फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है. उन्होंने दस्तावेज भी पेश किया. वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. आज़म ख़ान ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं. अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है. मुख्य आरोपी वहीं है. वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने भी पक्ष रखा. सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने अपना फैसला दोबारा सुरक्षित कर लिया है.

Last Updated : May 5, 2022, 9:44 PM IST
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