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कोरोना इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल की मनमानी वसूली

प्रयागराज में कोरोना का कहर बढ़ने के साथ ही पिछले दिनों जिले के कई प्राइवेट हॉस्पिटल्स में कोविड मरीजों का इलाज करने की छूट दी गई. जिसके बाद से निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाने लगा. आरोप है कि इस दौरान प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के बदले मनमानी वसूली भी शुरू हो गई.

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Published : May 20, 2021, 2:54 AM IST

किरण मिश्रा का परिवार.
किरण मिश्रा का परिवार.

प्रयागराजः जिले में कोविड मरीज के परिजनों से निजी अस्पताल की मनमानी वसूली जारी है. सरकार के दिशा निर्देश जारी करने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती करने के बाद उनसे 10 दिन के इलाज के बदले 4 से 5 लाख रुपये तक वसूल रहे हैं. इसी तरह की एक शिकायत मिलने के बाद सीएमओ की तरफ से एक प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया जा चुका है.

अस्पताल पर आरोप लगाते परिजन.

केस 1

प्रयागराज की रहने वाली किरण मिश्रा कोरोना संक्रमित पाई जाने के बाद उनकी हालत बिगड़ी तो घरवालों ने उन्हें इलाज के लिए जॉर्ज टाउन इलाके में बने ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया, जहां पर उनके इलाज के बाद डॉक्टरों ने 3,77,226 रुपये का बिल बना दिया. महिला के पति आरके मिश्रा ने जब बिल में कुछ कमी करने की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने साफ मना कर दिया. जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने अपने बिल के साथ जिलाधिकारी को पत्र देकर उनसे इंसाफ की गुहार लगाई.

फोन पर बातचीत.

जिलाधिकारी ने सीएमओ से मामले की जांच करवाई. सीएमओ ने जांच रिपोर्ट में पाया कि अस्पताल प्रशासन ने बिना वजह बिल को बढ़ाया है, जिसके लिए एक ही जांच को दिन में दो बार कराने के साथ ही डॉक्टर की विजिट फीस का चार्ज 60 हजार रुपये लगाने के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट का भी चार्ज 7 हजार रुपये बिल में जोड़ा था. इसी तरह से कई और जांच बिना वजह कराए जाने की जानकारी मिलने के बाद सीएमओ ने ओझा हॉस्पिटल के डॉक्टर एलएस ओझा के खिलाफ जार्ज टाउन थाने में महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है.

केस 2

इसी तरह से मेहदौरी इलाके के रहने वाले 70 वर्षीय कृष्ण चंद्र त्रिपाठी को कोरोना से पीड़ित होने के बाद इलाज के लिए ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. जहां पर मरीज को भर्ती करने से पहले अस्पताल में डेढ़ लाख रुपये 10 दिन के इलाज के लिए जमा करवाए गए. इसके बाद मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उनके परिजनों को 4 लाख 55 हजार रुपये से ज्यादा का बिल पकड़ा दिया गया. परिजनों से कहा गया कि वह बिल जमा करें, तभी उनके मरीज को डिस्चार्ज किया जाएगा. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से बातचीत कर इतना ज्यादा बिल बनाए जाने पर एतराज जताया, लेकिन अस्पताल वालों ने पूरा बिल जमा किए बिना मरीज को डिस्चार्ज करने से मना कर दिया.

अस्पताल का बिल.
अस्पताल का बिल.

परिजनों ने फोन करके पुलिस से मामले की शिकायत की. पुलिस के अस्पताल पहुंचने के बाद अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 55 हजार रुपये कम करते हुए बिल के 3 लाख रुपये जमा करवाया और मरीज को डिस्चार्ज कर दिया. कृष्ण चंद्र के परिजनों का आरोप है कि जिस वक्त ओझा हॉस्पिटल से वह अपने मरीज को लेकर घर पहुंचे उनकी हालत खराब थी. मरीज को लेकर रेलवे अस्पताल गए जहां डॉक्टरों ने देखकर बताया कि उनके चेस्ट में ज्यादा इंफेक्शन है, इससे 2 दिन बाद ही उनकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि ओझा हॉस्पिटल में 13 दिनों तक इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. 3 लाख रुपये लेने के बावजूद उनके मरीज का सही ढंग से इलाज नहीं किया गया.

अस्पताल प्रशासन की मनमानी लूट का सच

अस्पताल प्रशासन ने मरीज के परिजनों से एक बाइपैप मास्क के बदले 5546 रुपये वसूले हैं. इसके अलावा जांच के नाम पर 42 हजार 500 रुपये चार्ज किया गया. आईसीयू बेड के 15 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से 2 लाख 10 हजार रुपये लिए गए हैं. इसी तरह से कोरोना में दी जाने वाली दवाओं के नाम पर 1 लाख 13 हजार 738 रुपये का बिल में चार्ज लगाया गया है. इसके अलावा तीन डॉक्टरों के एक बार के विजिट का 2 हजार के रेट से 84 हजार रुपये का चार्ज बिल में दर्शाया गया है.

अस्पताल द्वारा जारी किया गया बिल.
अस्पताल द्वारा जारी किया गया बिल.

डॉक्टर एल एस ओझा ने दी अपनी सफाई

ओझा हॉस्पिटल के डॉक्टर एल एस ओझा ने बताया कि उनके अस्पताल में कोविड मरीजों का बेहतर इलाज किया जाता है. मरीजों को बेहतर दवाएं दी जाती हैं. उनका यह भी कहना है कि मरीजों को ज्यादा दवा देकर ठीक किया गया है तो उसमें क्या दिक्कत है. उनके मुताबिक वो कई सालों से मरीजों की सेवा कर रहे हैं. कोरोना काल में भी मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में सरकार द्वारा तय रेट से ज्यादा पैसे लिए जाने के मामले पर भी उन्होंने कुछ साफ नहीं कहा. उनका कहना है कि केस दर्ज हो चुका है. इसलिए अब इस मामले में बोलना ठीक नहीं है.

प्रयागराजः जिले में कोविड मरीज के परिजनों से निजी अस्पताल की मनमानी वसूली जारी है. सरकार के दिशा निर्देश जारी करने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को भर्ती करने के बाद उनसे 10 दिन के इलाज के बदले 4 से 5 लाख रुपये तक वसूल रहे हैं. इसी तरह की एक शिकायत मिलने के बाद सीएमओ की तरफ से एक प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाया जा चुका है.

अस्पताल पर आरोप लगाते परिजन.

केस 1

प्रयागराज की रहने वाली किरण मिश्रा कोरोना संक्रमित पाई जाने के बाद उनकी हालत बिगड़ी तो घरवालों ने उन्हें इलाज के लिए जॉर्ज टाउन इलाके में बने ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया, जहां पर उनके इलाज के बाद डॉक्टरों ने 3,77,226 रुपये का बिल बना दिया. महिला के पति आरके मिश्रा ने जब बिल में कुछ कमी करने की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने साफ मना कर दिया. जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने अपने बिल के साथ जिलाधिकारी को पत्र देकर उनसे इंसाफ की गुहार लगाई.

फोन पर बातचीत.

जिलाधिकारी ने सीएमओ से मामले की जांच करवाई. सीएमओ ने जांच रिपोर्ट में पाया कि अस्पताल प्रशासन ने बिना वजह बिल को बढ़ाया है, जिसके लिए एक ही जांच को दिन में दो बार कराने के साथ ही डॉक्टर की विजिट फीस का चार्ज 60 हजार रुपये लगाने के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट का भी चार्ज 7 हजार रुपये बिल में जोड़ा था. इसी तरह से कई और जांच बिना वजह कराए जाने की जानकारी मिलने के बाद सीएमओ ने ओझा हॉस्पिटल के डॉक्टर एलएस ओझा के खिलाफ जार्ज टाउन थाने में महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है.

केस 2

इसी तरह से मेहदौरी इलाके के रहने वाले 70 वर्षीय कृष्ण चंद्र त्रिपाठी को कोरोना से पीड़ित होने के बाद इलाज के लिए ओझा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. जहां पर मरीज को भर्ती करने से पहले अस्पताल में डेढ़ लाख रुपये 10 दिन के इलाज के लिए जमा करवाए गए. इसके बाद मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उनके परिजनों को 4 लाख 55 हजार रुपये से ज्यादा का बिल पकड़ा दिया गया. परिजनों से कहा गया कि वह बिल जमा करें, तभी उनके मरीज को डिस्चार्ज किया जाएगा. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से बातचीत कर इतना ज्यादा बिल बनाए जाने पर एतराज जताया, लेकिन अस्पताल वालों ने पूरा बिल जमा किए बिना मरीज को डिस्चार्ज करने से मना कर दिया.

अस्पताल का बिल.
अस्पताल का बिल.

परिजनों ने फोन करके पुलिस से मामले की शिकायत की. पुलिस के अस्पताल पहुंचने के बाद अस्पताल प्रशासन ने 1 लाख 55 हजार रुपये कम करते हुए बिल के 3 लाख रुपये जमा करवाया और मरीज को डिस्चार्ज कर दिया. कृष्ण चंद्र के परिजनों का आरोप है कि जिस वक्त ओझा हॉस्पिटल से वह अपने मरीज को लेकर घर पहुंचे उनकी हालत खराब थी. मरीज को लेकर रेलवे अस्पताल गए जहां डॉक्टरों ने देखकर बताया कि उनके चेस्ट में ज्यादा इंफेक्शन है, इससे 2 दिन बाद ही उनकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि ओझा हॉस्पिटल में 13 दिनों तक इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई. 3 लाख रुपये लेने के बावजूद उनके मरीज का सही ढंग से इलाज नहीं किया गया.

अस्पताल प्रशासन की मनमानी लूट का सच

अस्पताल प्रशासन ने मरीज के परिजनों से एक बाइपैप मास्क के बदले 5546 रुपये वसूले हैं. इसके अलावा जांच के नाम पर 42 हजार 500 रुपये चार्ज किया गया. आईसीयू बेड के 15 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से 2 लाख 10 हजार रुपये लिए गए हैं. इसी तरह से कोरोना में दी जाने वाली दवाओं के नाम पर 1 लाख 13 हजार 738 रुपये का बिल में चार्ज लगाया गया है. इसके अलावा तीन डॉक्टरों के एक बार के विजिट का 2 हजार के रेट से 84 हजार रुपये का चार्ज बिल में दर्शाया गया है.

अस्पताल द्वारा जारी किया गया बिल.
अस्पताल द्वारा जारी किया गया बिल.

डॉक्टर एल एस ओझा ने दी अपनी सफाई

ओझा हॉस्पिटल के डॉक्टर एल एस ओझा ने बताया कि उनके अस्पताल में कोविड मरीजों का बेहतर इलाज किया जाता है. मरीजों को बेहतर दवाएं दी जाती हैं. उनका यह भी कहना है कि मरीजों को ज्यादा दवा देकर ठीक किया गया है तो उसमें क्या दिक्कत है. उनके मुताबिक वो कई सालों से मरीजों की सेवा कर रहे हैं. कोरोना काल में भी मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में सरकार द्वारा तय रेट से ज्यादा पैसे लिए जाने के मामले पर भी उन्होंने कुछ साफ नहीं कहा. उनका कहना है कि केस दर्ज हो चुका है. इसलिए अब इस मामले में बोलना ठीक नहीं है.

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