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फर्जी अंकपत्र से नौकरी पाने वाले आरोपी सहायक अध्यापक की जमानत मंजूर, यह है पूरा मामला - प्रयागराज लेटेस्ट न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी अंकपत्र से नौकरी पाने वाले एक आरोपी सहायक अध्यापक की 25 हजार निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने मामले में विवेचना अधिकारी को तीन माह में विवेचना पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Feb 16, 2022, 7:57 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी अंकपत्र से नौकरी पाने वाले एक आरोपी सहायक अध्यापक की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने आरोपी सहायक अध्यापक आशीष कुमार सिंह को 25 हजार निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस गिरफ्तारी के समय याची को पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक जमानत पर रिहा करें. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विवेचना अधिकारी तीन माह में विवेचना पूरी कर रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट ने एसएसपी या एसपी को आदेश की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

याची का कहना था कि मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 3500 फर्जी अंकपत्र हैं. एक हजार अंकपत्रों में फेरबदल किया गया है. याची के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. सामान्य मनगढ़ंत आरोपों को लेकर याची के खिलाफ मदनपुर, शाहगंज में एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची के अंकपत्र की जांच नहीं की गई.

यह भी पढ़ें- महंत नरेंद्र गिरी मौत मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई टली

इस तरह के कई आरोपियों को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है. याची पिछले एक दशक से सहायक अध्यापक है. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. इसके चलते कोर्ट ने सशर्त अंग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके सिंह ने दिए हैं.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी अंकपत्र से नौकरी पाने वाले एक आरोपी सहायक अध्यापक की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने आरोपी सहायक अध्यापक आशीष कुमार सिंह को 25 हजार निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दी है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस गिरफ्तारी के समय याची को पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक जमानत पर रिहा करें. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विवेचना अधिकारी तीन माह में विवेचना पूरी कर रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट ने एसएसपी या एसपी को आदेश की प्रति उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

याची का कहना था कि मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 3500 फर्जी अंकपत्र हैं. एक हजार अंकपत्रों में फेरबदल किया गया है. याची के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. सामान्य मनगढ़ंत आरोपों को लेकर याची के खिलाफ मदनपुर, शाहगंज में एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची के अंकपत्र की जांच नहीं की गई.

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इस तरह के कई आरोपियों को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है. याची पिछले एक दशक से सहायक अध्यापक है. उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. इसके चलते कोर्ट ने सशर्त अंग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके सिंह ने दिए हैं.

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