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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को मिली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, याचिका मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद की याचिका शनिवार को स्वीकार कर ली. मोहम्मद शाहिद ने वरिष्ठता होने के बावजूद उनको विभाग का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द (Allahabad University Professor Mohammad Shahid gets relief) कर दिया.

Allahabad University Professor Mohammad Shahid gets relief from Allahabad High Court
Allahabad University Professor Mohammad Shahid gets relief from Allahabad High Court
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 8:31 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को राहत देते हुए उनकी याचिका स्वीकार कर ली (Professor Mohammad Shahid gets relief from Allahabad High Court) है. मोहम्मद शाहिद ने वरिष्ठता होने के बावजूद उनको विभाग का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने माना है की वरिष्ठता के अनुसार मोहम्मद शाहिद विभाग का अध्यक्ष होने के हकदार हैं.

मोहम्मद शाहिद के खिलाफ 2020 में कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में महामारी अधिनियम और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था . इसके बाद उनको निलंबित कर दिया गया था. मोहम्मद शाहिद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्टर द्वारा 11 जुलाई 2023 को पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस आदेश में रजिस्ट्रार ने मोहम्मद शाहिद के बजाय वरिष्ठता क्रम में पहले स्थान पर रहे प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया था. उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने सुनवाई की.

याची का कहना था कि राजनीति शास्त्र विभाग में वह वरिष्ठता क्रम में चौथे स्थान पर थे, जबकि उनके बाद प्रोफेसर पंकज कुमार पांचवें स्थान पर थे. विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार विभाग अध्यक्ष योग्य प्रोफेसर में वरिष्ठता क्रम के अनुसार से रोटेशन के अनुसार नियुक्त किए जाते हैं. याची के विरुद्ध 2020 में मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. इसलिए उनके स्थान पर उनसे कनिष्ठ प्रोफेसर पंकज कुमार को विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया. इस दौरान प्रदेश सरकार ने मुकदमा वापस ले लिया और विश्वविद्यालय ने भी याची निलंबन समाप्त कर दिया तथा वह अपनी वरिष्ठता के अनुसार पूर्व की स्थिति में आ गए.

इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर पंकज कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनको विभाग अध्यक्ष नियुक्त न करके वरिष्ठता क्रम में पहले स्थान पर रहे प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जो की भेदभावपूर्ण है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद कहा की वरिष्ठता क्रम के अनुसार प्रोफेसर शाहिद विभाग का अध्यक्ष होने के योग्य है. कोर्ट ने रजिस्ट्रार के 11 जुलाई 2023 के आदेश को रद्द कर दिया है.

ये भी पढ़ें- राम मंदिर के गर्भगृह में दिखेगा पूरा ब्रह्मांड, शेषनाग पर विराजमान हैं भगवान विष्णु

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को राहत देते हुए उनकी याचिका स्वीकार कर ली (Professor Mohammad Shahid gets relief from Allahabad High Court) है. मोहम्मद शाहिद ने वरिष्ठता होने के बावजूद उनको विभाग का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने माना है की वरिष्ठता के अनुसार मोहम्मद शाहिद विभाग का अध्यक्ष होने के हकदार हैं.

मोहम्मद शाहिद के खिलाफ 2020 में कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में महामारी अधिनियम और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था . इसके बाद उनको निलंबित कर दिया गया था. मोहम्मद शाहिद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्टर द्वारा 11 जुलाई 2023 को पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस आदेश में रजिस्ट्रार ने मोहम्मद शाहिद के बजाय वरिष्ठता क्रम में पहले स्थान पर रहे प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया था. उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने सुनवाई की.

याची का कहना था कि राजनीति शास्त्र विभाग में वह वरिष्ठता क्रम में चौथे स्थान पर थे, जबकि उनके बाद प्रोफेसर पंकज कुमार पांचवें स्थान पर थे. विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार विभाग अध्यक्ष योग्य प्रोफेसर में वरिष्ठता क्रम के अनुसार से रोटेशन के अनुसार नियुक्त किए जाते हैं. याची के विरुद्ध 2020 में मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया. इसलिए उनके स्थान पर उनसे कनिष्ठ प्रोफेसर पंकज कुमार को विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया. इस दौरान प्रदेश सरकार ने मुकदमा वापस ले लिया और विश्वविद्यालय ने भी याची निलंबन समाप्त कर दिया तथा वह अपनी वरिष्ठता के अनुसार पूर्व की स्थिति में आ गए.

इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर पंकज कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनको विभाग अध्यक्ष नियुक्त न करके वरिष्ठता क्रम में पहले स्थान पर रहे प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जो की भेदभावपूर्ण है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद कहा की वरिष्ठता क्रम के अनुसार प्रोफेसर शाहिद विभाग का अध्यक्ष होने के योग्य है. कोर्ट ने रजिस्ट्रार के 11 जुलाई 2023 के आदेश को रद्द कर दिया है.

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