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धर्मांतरण मामला: जांच की आई आंच तो फरार हुए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर

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Published : Jun 27, 2021, 8:35 AM IST

इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद का नाम धर्मांतरण मामले में सामने आया है. उन पर एक युवती का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा है. यूपी एटीएस इस मामले में उनसे पूछताछ कर सकती है. इससे पहले वह तबलीगी जमातियों को पनाह देने के मामले में जेल भी जा चुके हैं.

धर्मांतरण कराने वाले प्रोफेसर पूरे परिवार सहित फरार
धर्मांतरण कराने वाले प्रोफेसर पूरे परिवार सहित फरार

प्रयागराज: जबरन धर्मांतरण मामले में यूपी एटीएस ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जिस प्रोफेसर को अपनी रडार पर लिया है, उन पर इसके पहले भी कई संगीन आरोप लग चुके हैं. ये इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद हैं. इन पर कोरोना की पहली लहर के दौरान तबलीगी जमात के लोगों को छिप-छिपाकर पनाह देने का आरोप लगा था. मामले का खुलासा होने पर तब इस पर खूब राजनीतिक बवाल भी हुआ था.

जानकारी देते संवाददाता.

वहीं अब एक बार फिर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद सुर्खियों में हैं. मोहम्मद शाहिद पर कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा है. इसी मामले में पूछताछ के लिए यूपी एटीएस की टीम उन्हें ढूढ़ रही है, लेकिन मोहम्मद शाहिद के घर पर ताला लगा हुआ है और वह परिवार सहित अंडरग्राउंड हो गए हैं. बता दें कि यूपी एटीएस की टीम ने हाल ही में एक ऐसे गैंग का खुलासा किया था, जिन लोगों ने मिलकर करीब हजार लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया था, जिसके बाद एटीएस ने विदेशी फंडिंग के जरिये धर्म परिवर्तन करवाने वालों की जनाकारी जुटानी शुरू की. इस गैंग में कई मौलानाओं और दूसरे लोगों के नाम शामिल हैं.

नोएडा से दो मौलाना हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने के आरोप में यूपी एटीएस ने दो मौलानाओं मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था. इन दोनों मौलानाओं से पूछताछ में यूपी एटीएस को धर्मांतरण कराने संबंधित कई अहम जानकारियां हाथ लगी थीं, जिसके बाद से यूपी एटीएस ने जांच तेज कर दी थी. बीते गुरुवार को यूपी एटीएस की टीम ने राजधानी लखनऊ के रहमान खेड़ा में स्थित अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन के कार्यालय पर छापा मारा था. मोहम्मद उमर गौतम अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट है. एटीएस ने कार्यालय में मौजूद लोगों से पूछताछ की थी.

मुश्किलों में फंसे इविवि के प्रोफेसर
वहीं धर्मांतरण कराए जाने के मामले में यूपी एटीएस की रडार पर अब इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद भी आ गए हैं. कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का धर्म परिवर्तन करवाने में उनका नाम सामने आ रहा है. बताया जा रहा है कि प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को जब से इस बात की जानकारी मिली है कि एटीएस उनसे इस मामले में पूछताछ करेगी वो घर में ताला बंद करके परिवार समेत कहीं छिप गए हैं. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम जब प्रोफेसर से बात करने के लिये उनके घर पहुंची तो उनके घर पर ताला लगा हुआ था. वो कब और कहां गए हैं, उनके पड़ोसियों को भी इस बात की जानकारी नहीं है.

युवती का किया गया ब्रेनवॉश
दरअसल, कानपुर जिले के घाटमपुर क्षेत्र की रहने वाली ऋचा नाम की एक युवती पढ़ाई के दौरान इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के संपर्क में आई. आरोप है कि प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद ने ऋचा का जबरन धर्म परिवर्तन कराया, जिसके बाद उसने अपना नाम बदलकर माहिम अली कर लिया. ऋचा ने अपने घर परिवार वालों से रिश्ता तोड़ लिया और नोएडा में जाकर नौकरी करने लगी. उसने अपनी कमाई को एक मस्जिद को देना शुरू कर दिया. युवती के घरवालों का आरोप है कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के संपर्क में आने के बाद ही उनके द्वारा ऋचा का ब्रेनवॉश किया गया और नौकरी का लालच देकर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया.

इसे भी पढ़ें:- कैदी ने जेल में किया धर्मांतरण, बाहर आने पर पढ़ी नमाज, पुलिस ने कटवाई दाढ़ी

आरोप यह भी है कि ऋचा उर्फ माहिम अब दूसरी लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए प्रेरित करती है. ऋचा देवी उर्फ माहिम अली और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के बारे में यह सारी जानकारियां कानपुर में रहने वाले ऋचा के परिजनों और करीबी रिश्तेदारों ने जांच एजेंसी को दी है. जांच एजेंसी के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे हैं, जो इन दावों के सच होने की तरफ इशारा करते हैं.

कोरोना काल में तबलीगी जमात को दी थी पनाह
प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद का भी करीबी बताया जाता है. अप्रैल 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत के समय प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद तबलीगी जामतियों को शरण देने के आरोप में भी फंसे थे. जामतियों की जानकारी छिपाकर उन्हें शरण दिलवाने के आरोप में उन पर केस दर्ज किया गया था. प्रोफेसर के खिलाफ शिवकुटी और शाहगंज थाने में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. प्रोफेसर के जेल जाने पर उन्हें इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से भी उस दौरान निलंबित कर दिया गया था. फिलहाल वह जेल से छूटने के बाद से बाहर थे, लेकिन कानपुर के इस प्रकरण से नाम जुड़ने के बाद से उनका मोबाइल बंद है और मेंहदौरी कॉलोनी स्थित उनके घर में भी ताला लगा हुआ है.

प्रयागराज: जबरन धर्मांतरण मामले में यूपी एटीएस ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जिस प्रोफेसर को अपनी रडार पर लिया है, उन पर इसके पहले भी कई संगीन आरोप लग चुके हैं. ये इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद हैं. इन पर कोरोना की पहली लहर के दौरान तबलीगी जमात के लोगों को छिप-छिपाकर पनाह देने का आरोप लगा था. मामले का खुलासा होने पर तब इस पर खूब राजनीतिक बवाल भी हुआ था.

जानकारी देते संवाददाता.

वहीं अब एक बार फिर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद सुर्खियों में हैं. मोहम्मद शाहिद पर कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा है. इसी मामले में पूछताछ के लिए यूपी एटीएस की टीम उन्हें ढूढ़ रही है, लेकिन मोहम्मद शाहिद के घर पर ताला लगा हुआ है और वह परिवार सहित अंडरग्राउंड हो गए हैं. बता दें कि यूपी एटीएस की टीम ने हाल ही में एक ऐसे गैंग का खुलासा किया था, जिन लोगों ने मिलकर करीब हजार लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया था, जिसके बाद एटीएस ने विदेशी फंडिंग के जरिये धर्म परिवर्तन करवाने वालों की जनाकारी जुटानी शुरू की. इस गैंग में कई मौलानाओं और दूसरे लोगों के नाम शामिल हैं.

नोएडा से दो मौलाना हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने के आरोप में यूपी एटीएस ने दो मौलानाओं मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया था. इन दोनों मौलानाओं से पूछताछ में यूपी एटीएस को धर्मांतरण कराने संबंधित कई अहम जानकारियां हाथ लगी थीं, जिसके बाद से यूपी एटीएस ने जांच तेज कर दी थी. बीते गुरुवार को यूपी एटीएस की टीम ने राजधानी लखनऊ के रहमान खेड़ा में स्थित अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन के कार्यालय पर छापा मारा था. मोहम्मद उमर गौतम अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट है. एटीएस ने कार्यालय में मौजूद लोगों से पूछताछ की थी.

मुश्किलों में फंसे इविवि के प्रोफेसर
वहीं धर्मांतरण कराए जाने के मामले में यूपी एटीएस की रडार पर अब इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद भी आ गए हैं. कानपुर की एक युवती ऋचा देवी का धर्म परिवर्तन करवाने में उनका नाम सामने आ रहा है. बताया जा रहा है कि प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को जब से इस बात की जानकारी मिली है कि एटीएस उनसे इस मामले में पूछताछ करेगी वो घर में ताला बंद करके परिवार समेत कहीं छिप गए हैं. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम जब प्रोफेसर से बात करने के लिये उनके घर पहुंची तो उनके घर पर ताला लगा हुआ था. वो कब और कहां गए हैं, उनके पड़ोसियों को भी इस बात की जानकारी नहीं है.

युवती का किया गया ब्रेनवॉश
दरअसल, कानपुर जिले के घाटमपुर क्षेत्र की रहने वाली ऋचा नाम की एक युवती पढ़ाई के दौरान इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के संपर्क में आई. आरोप है कि प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद ने ऋचा का जबरन धर्म परिवर्तन कराया, जिसके बाद उसने अपना नाम बदलकर माहिम अली कर लिया. ऋचा ने अपने घर परिवार वालों से रिश्ता तोड़ लिया और नोएडा में जाकर नौकरी करने लगी. उसने अपनी कमाई को एक मस्जिद को देना शुरू कर दिया. युवती के घरवालों का आरोप है कि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के संपर्क में आने के बाद ही उनके द्वारा ऋचा का ब्रेनवॉश किया गया और नौकरी का लालच देकर उसे इस्लाम कबूल करवा दिया गया.

इसे भी पढ़ें:- कैदी ने जेल में किया धर्मांतरण, बाहर आने पर पढ़ी नमाज, पुलिस ने कटवाई दाढ़ी

आरोप यह भी है कि ऋचा उर्फ माहिम अब दूसरी लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए प्रेरित करती है. ऋचा देवी उर्फ माहिम अली और इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के बारे में यह सारी जानकारियां कानपुर में रहने वाले ऋचा के परिजनों और करीबी रिश्तेदारों ने जांच एजेंसी को दी है. जांच एजेंसी के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे हैं, जो इन दावों के सच होने की तरफ इशारा करते हैं.

कोरोना काल में तबलीगी जमात को दी थी पनाह
प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद का भी करीबी बताया जाता है. अप्रैल 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत के समय प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद तबलीगी जामतियों को शरण देने के आरोप में भी फंसे थे. जामतियों की जानकारी छिपाकर उन्हें शरण दिलवाने के आरोप में उन पर केस दर्ज किया गया था. प्रोफेसर के खिलाफ शिवकुटी और शाहगंज थाने में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. प्रोफेसर के जेल जाने पर उन्हें इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से भी उस दौरान निलंबित कर दिया गया था. फिलहाल वह जेल से छूटने के बाद से बाहर थे, लेकिन कानपुर के इस प्रकरण से नाम जुड़ने के बाद से उनका मोबाइल बंद है और मेंहदौरी कॉलोनी स्थित उनके घर में भी ताला लगा हुआ है.

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