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इविवि के पूर्व चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे सहित चार प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक, हाई कोर्ट ने दिया आदेश - हाइकोर्ट ने दिया आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे सहित अन्य चार प्रोफेसरों के खिलाफ दर्ज एससी/एसटी एक्ट के मामले की सुनवाई की. इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने इन लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश दिए.

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हाई कोर्ट ने दिया आदेश
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Published : Feb 8, 2020, 2:53 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे सहित विश्वविद्यालय के चार प्रोफेसरों की मारपीट,गाली-गलौज और धमकाने, एससी/एसटी एक्ट के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने प्रो. रामसेवक और अन्य की याचिका पर दिया.

इन प्रोफेसरों के खिलाफ शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रो. डीसी लाल ने मुकदमा दर्ज कराया था. वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने मामले की सुनवाई में अपनी बहस में कहा कि चारों याची इविवि के प्रोफेसर हैं और वादी ने एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है. पहले भी वह इस एक्ट के तहत दो मुकदमे अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज करा चुके हैं.

उन्होंने पहले तहरीर दी थी कि प्रो. रामसेवक दुबे ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघ (आटा) की बैठक में उनपर तमंचा तान दिया. जिसके बाद में तहरीर बदलकर कहा कि प्रो. दुबे, प्राचीन इतिहास के प्रो. हर्ष कुमार, पॉलिटिक्स के डॉ. पंकज कुमार और हिन्दी के डॉ. राकेश सिंह ने उन्हें जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी दी और इसके साथ ही मार-पीट भी की.

जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एफआईआर निरस्त करने से इनकार करते हुए चारों प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश दिए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे सहित विश्वविद्यालय के चार प्रोफेसरों की मारपीट,गाली-गलौज और धमकाने, एससी/एसटी एक्ट के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने प्रो. रामसेवक और अन्य की याचिका पर दिया.

इन प्रोफेसरों के खिलाफ शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रो. डीसी लाल ने मुकदमा दर्ज कराया था. वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने मामले की सुनवाई में अपनी बहस में कहा कि चारों याची इविवि के प्रोफेसर हैं और वादी ने एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया है. पहले भी वह इस एक्ट के तहत दो मुकदमे अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज करा चुके हैं.

उन्होंने पहले तहरीर दी थी कि प्रो. रामसेवक दुबे ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघ (आटा) की बैठक में उनपर तमंचा तान दिया. जिसके बाद में तहरीर बदलकर कहा कि प्रो. दुबे, प्राचीन इतिहास के प्रो. हर्ष कुमार, पॉलिटिक्स के डॉ. पंकज कुमार और हिन्दी के डॉ. राकेश सिंह ने उन्हें जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी दी और इसके साथ ही मार-पीट भी की.

जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एफआईआर निरस्त करने से इनकार करते हुए चारों प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश दिए.

प्रयागराज। विधि संवाददाता
हाईकोर्ट पूर्व चाफी प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे सहित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चार प्रोफेसरों की मारपीट, गाली-गलौच व धमकाने और एससी/एसटी एक्ट के मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने प्रो. रामसेवक व अन्य की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व अधिवक्ता संतोष सिंह को सुनकर दिया है। इन प्रोफेसरों के खिलाफ शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रो. डीसी लाल ने मुकदमा दर्ज कराया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने अपनी बहस में कहा कि चारों याची इविवि के प्रोफेसर हैं और वादी एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराने के आदी हैं। पहले भी वह इस एक्ट के तहत दो मुकदमे अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने पहले तहरीर दी थी कि प्रो. रामसेवक दुबे ने आटा की की बैठक में उनपर तमंचा तान दिया। बाद में तहरीर बदलकर कहा कि प्रो. दुबे, प्राचीन इतिहास के प्रो. हर्ष कुमार, पॉलिटिक्स के डॉ. पंकज कुमार व हिन्दी के डॉ. राकेश सिंह उन्हें जातिसूचक गालियां व जान से मारने की धमकी दी और मारापीटा। कोर्ट ने सुनवाई के बाद एफआईआर निरस्त करने से इनकार करते हुए चारों प्रोफेसरों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
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