प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी वकील की सही तैयारी न होने और कोर्ट में तथ्य पेश न हो पाने के कारण अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये जाने को गंभीरता से लिया है. इस मामले में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल को 6 हफ्ते में रिपोर्ट तैयार कर 15 सितंबर को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यह देखें कि सरकारी वकील को केस की तैयारी का उचित समय मिले ताकि जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान कोर्ट में केस के सही तथ्य पेश किये जा सकें. कोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार सबसे बड़ी वादकारी है. हर दिन एक हजार जमानत अर्जी दाखिल हो रही है. बिना सही तैयारी के अभियुक्तों को जमानत मिल जा रही है और पैरिटी के आधार पर जमानत पर रिहा करने की मांग की जा रही है. इसलिए राज्य विधि अधिकारियों को सहूलियत दी जानी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि कुछ अभियुक्तों को जमानत मिलने की पैरिटी जमानत पर रिहा करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता. जमानत देने के लिए जरूरी तथ्यों पर गौर किया जाना जरूरी है. कोर्ट में सही तथ्य प्रस्तुत न होने के कारण सह अभियुक्त को मिली जमानत की पैरिटी के आधार पर आरोपी को जमानत का अधिकार नहीं मिल जाता. कोर्ट ने कहा कि जमानत एक नियम है और जेल अपवाद. जमानत दी जाये या नहीं, यह न्यायाधीश के न्यायिक विवेक पर निर्भर करता है.
कोर्ट ने 10 बजे रात दुकान में घुस कर 6 लोगों द्वारा चापड़ आदि से हत्या करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कोतवाली फतेहपुर के सोएब की अर्जी पर दिया. मालूम हो कि 15 मई 19 को 6 लोग सोनू की दुकान में पहुंचे और बाहर खींच कर धारदार हथियार से हमला कर दिया. इसमें एक की मौत हो गयी और कई घायल हो गये. बचाने के लिए दौड़ कर आये चश्मदीद गवाह भी घायल हो गये थे.
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