प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात सैकड़ों कांस्टेबलों की वरिष्ठता सूची पर पुलिस मुख्यालय महानिदेशक लखनऊ (Police Headquarters Director General Lucknow) समेत अन्य विपक्षियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने कांस्टेबलों की याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं एडवोकेट अतिप्रिया गौतम को सुनकर दिया है. याचिकाओं में पीएचक्यू डीजीपी लखनऊ द्वारा 8 अगस्त 2022 को जारी अंतिम वरिष्ठता सूची को चुनौती दी गई है. विमल कुमार सहित 170 और लखन लाल वर्मा व अन्य कांस्टेबलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम का कहना है कि वरिष्ठता सूची सेवा नियमावली 2008 के नियम 22 के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि याचियों की आपत्तियों को निस्तारित किए बगैर अंतिम वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई. जो गलत है. याचिकाओं में कहा गया है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 11 हजार 745 हेड कांस्टेबल के पदों के सापेक्ष जोन वाइज वर्ष 2011 तक नियुक्त कांस्टेबलों को हेड कांस्टेबल बनाए जाने के लिए 2 अप्रैल 2022 को पात्रता सूची निर्गत की गई थी। इस पात्रता सूची में सभी उपयुक्त याची पदोन्नति के लिए पात्र पाए गए थे.
कहा गया है कि 30 अप्रैल 2022 को पुलिस मुख्यालय लखनऊ ने 37 हजार 163 कांस्टेबलों की अनंतिम सूची जारी की एवं इस पर आपत्तियां मांगी. कहा गया कि सभी कांस्टेबलों ने इस अनंतिम सूची पर अपनी आपत्तियां दीं लेकिन पीएचक्यू के अधिकारियों ने बगैर इनकी आपत्तियों का निस्तारण किए 8 अगस्त 2022 को दूसरी अंतिम वरिष्ठता सूची जारी कर दी. जिसमें इन सिपाहियों को काफी नीचे कर दिया गया है. जो गलत है. अधिवक्ता द्वय गौतम का कहना था कि 2011 बैच के नियुक्त इन सिपाहियों ने सात वर्ष से ज्यादा की सेवाएं आरक्षी के पद पर पूरी कर ली है और वे सभी हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नति के लिए हकदार हैं.
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