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HC ने कहा, आरपीएफ कांस्टेबलों को नहीं कहा जा सकता है वसूली का स्वतंत्र गवाह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि आरपीएफ कांस्टेबलों को वसूली(Recovery) का स्वतंत्र गवाह नहीं कहा जा सकता है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 15, 2022, 8:00 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि रेलवे पुलिस बल के कांस्टेबलों को एनडीपीएस एक्ट(NDPS Act) में रिकवरी के स्वतंत्र गवाह नहीं कहा जा सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने एनडीपीएस एक्ट के आरोपी आदित्य कुमार की जमानत याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र को सुनकर दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार बरेली स्टेशन में याची के पास से 391 ग्राम हेरोइन बरामद की गई. याची ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष जमानत की अर्जी दी, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि गवाहों की उपस्थिति में उसके कब्जे से एक व्यावसायिक मात्रा में हेरोइन बरामद की गई थी.

सीनियर एडवोकेट दयाशंकर मिश्र ने कहा कि तलाशी और जब्ती एक रेलवे स्टेशन पर की गई थी जो सार्वजनिक स्थान है और स्वतंत्र व्यक्तियों से भरा है. इसके बावजूद वसूली का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है. उन्होंने कहा कि बरामदगी, तलाशी और जब्ती के गवाह रहे रेलवे पुलिस बल के सिपाहियों को स्वतंत्र गवाह नहीं कहा जा सकता.

पढ़ेंः साक्षात्कार में दिव्यांग से चलवाई साइकिल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को दिया मुआवजा देने का आदेश

कोर्ट ने पाया कि याची की ओर से प्रस्तुत परीक्षण रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बरामद पदार्थ हेरोइन नहीं बल्कि मॉर्फिन थी. कोर्ट ने अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि मामले के सभी गवाह नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी और रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी हैं इसलिए इस बात की कोई उचित आशंका नहीं है कि याची को जमानत पर रिहा करने पर वह साक्ष्य को प्रभावित करेगा.

पढ़ेंः हिंदी दिवस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदी में दिया ये महत्वपूर्ण आदेश

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि रेलवे पुलिस बल के कांस्टेबलों को एनडीपीएस एक्ट(NDPS Act) में रिकवरी के स्वतंत्र गवाह नहीं कहा जा सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने एनडीपीएस एक्ट के आरोपी आदित्य कुमार की जमानत याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र को सुनकर दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार बरेली स्टेशन में याची के पास से 391 ग्राम हेरोइन बरामद की गई. याची ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष जमानत की अर्जी दी, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि गवाहों की उपस्थिति में उसके कब्जे से एक व्यावसायिक मात्रा में हेरोइन बरामद की गई थी.

सीनियर एडवोकेट दयाशंकर मिश्र ने कहा कि तलाशी और जब्ती एक रेलवे स्टेशन पर की गई थी जो सार्वजनिक स्थान है और स्वतंत्र व्यक्तियों से भरा है. इसके बावजूद वसूली का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है. उन्होंने कहा कि बरामदगी, तलाशी और जब्ती के गवाह रहे रेलवे पुलिस बल के सिपाहियों को स्वतंत्र गवाह नहीं कहा जा सकता.

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कोर्ट ने पाया कि याची की ओर से प्रस्तुत परीक्षण रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बरामद पदार्थ हेरोइन नहीं बल्कि मॉर्फिन थी. कोर्ट ने अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि मामले के सभी गवाह नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी और रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी हैं इसलिए इस बात की कोई उचित आशंका नहीं है कि याची को जमानत पर रिहा करने पर वह साक्ष्य को प्रभावित करेगा.

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