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भगोड़ा घोषित व्यक्ति को भी अग्रिम जमानत पाने का अधिकार, गिरफ्तारी एकमात्र आधार नहींः HC

हाईकोर्ट ने कहा है कि भगोड़ा घोषित व्यक्ति को भी अग्रिम जमानत पाने का पूरा अधिकार है. सिर्फ कानूनी रूप से सही होना ही गिरफ्तारी का एकमात्र आधार नहीं है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 19, 2023, 10:26 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भगोड़ा घोषित किया गया व्यक्ति भी अग्रिम जमानत पाने का अधिकारी है. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी सिर्फ इसलिए नहीं की जानी चाहिए कि गिरफ्तार करना कानूनी रूप से सही है. गिरफ्तार करने की शक्ति और उसको प्रयोग करने की औचित्य में अंतर करना आवश्यक है. यदि रूटिंग तरीके से गिरफ्तारी की जाती है तो इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को क्षति पहुंचेगी. यदि जांच अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि अभियुक्त भाग सकता है, या सम्मन का पालन नहीं करेगा तो हर मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. गोरखपुर के संजय पांडे की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने यह टिप्पणी की है.

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अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची के विरुद्ध गोरखपुर के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. कोर्ट ने 3 सितंबर 2022 को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंटी जारी किया. साथ ही 15 दिसंबर 2022 को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार होने की उद्घोषणा जारी कर दी. अधिवक्ता का कहना था कि याची वास्तव में भाग नहीं रहा था, बल्कि उसके विरुद्ध अन्य कई मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं. जिसमें इस न्यायालय से संरक्षण पाने की प्रक्रिया में वह उलझा हुआ था. इस दौरान उसने जानबूझकर न्यायिक प्रक्रिया को नजर अंदाज नहीं किया. अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कार्य न्यायिक निर्णय की नजीरें प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में उलझा हुआ है, उस स्थिति में यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह अदालती प्रक्रिया को जानबूझकर नजर अंदाज कर रहा है.

कोर्ट का कहना था कि संविधान की मंशा है कि अभियुक्तों को तभी गिरफ्तार किया जाना चाहिए, जब हिरासत में उससे पूछताछ करना आवश्यक हो, या कोई बहुत गंभीर अपराध का मामला हो. जहां अभियुक्त द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या उसके भाग जाने की आशंका हो. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची वास्तव में भागा नहीं था बल्कि इस न्यायालय से संरक्षण पाने की प्रक्रिया में उलझा हुआ था. अदालत ने याची संजय पांडे की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भगोड़ा घोषित किया गया व्यक्ति भी अग्रिम जमानत पाने का अधिकारी है. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी सिर्फ इसलिए नहीं की जानी चाहिए कि गिरफ्तार करना कानूनी रूप से सही है. गिरफ्तार करने की शक्ति और उसको प्रयोग करने की औचित्य में अंतर करना आवश्यक है. यदि रूटिंग तरीके से गिरफ्तारी की जाती है तो इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को क्षति पहुंचेगी. यदि जांच अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि अभियुक्त भाग सकता है, या सम्मन का पालन नहीं करेगा तो हर मामले में गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. गोरखपुर के संजय पांडे की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने यह टिप्पणी की है.

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अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची के विरुद्ध गोरखपुर के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. कोर्ट ने 3 सितंबर 2022 को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंटी जारी किया. साथ ही 15 दिसंबर 2022 को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार होने की उद्घोषणा जारी कर दी. अधिवक्ता का कहना था कि याची वास्तव में भाग नहीं रहा था, बल्कि उसके विरुद्ध अन्य कई मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं. जिसमें इस न्यायालय से संरक्षण पाने की प्रक्रिया में वह उलझा हुआ था. इस दौरान उसने जानबूझकर न्यायिक प्रक्रिया को नजर अंदाज नहीं किया. अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कार्य न्यायिक निर्णय की नजीरें प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में उलझा हुआ है, उस स्थिति में यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह अदालती प्रक्रिया को जानबूझकर नजर अंदाज कर रहा है.

कोर्ट का कहना था कि संविधान की मंशा है कि अभियुक्तों को तभी गिरफ्तार किया जाना चाहिए, जब हिरासत में उससे पूछताछ करना आवश्यक हो, या कोई बहुत गंभीर अपराध का मामला हो. जहां अभियुक्त द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या उसके भाग जाने की आशंका हो. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची वास्तव में भागा नहीं था बल्कि इस न्यायालय से संरक्षण पाने की प्रक्रिया में उलझा हुआ था. अदालत ने याची संजय पांडे की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है.

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