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आपराधिक केस में अपील लंबित होने पर पासपोर्ट जारी करने पर रोक नहीं : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति के पासपोर्ट जारी करने के आवेदन को केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि उस व्यक्ति के एक्विटल ऑर्डर के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है.

हाईकोर्ट
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Published : Dec 11, 2021, 10:11 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को पासपोर्ट जारी करने से इस आधार पर नहीं मना किया जा सकता कि केस से बरी होने के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस में बरी हो जाने के बाद आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाना जाएगा, जबतक कि अपील में सजा नहीं हो जाती.

यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने प्रमोद कुमार राजभर की याचिका पर दिया है.

इसे भी पढे़ं- गन्ना किसानों ने राकेश टिकैत के सुझाव को ठुकराया, ये है पूरा मामला

आपराधिक केस से बरी हो जाने के बाद याची ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. लेकिन अर्जी पर इस आधार पर विचार नहीं किया गया कि सत्र न्यायालय द्वारा आपराधिक केस में उसे बरी कर देने के बाद सरकार ने अपील की है, जो अभी विचाराधीन है.

दरअसल, याची के खिलाफ वर्ष 2014 में यौन उत्पीड़न व बलात्कार का मुकदमा चला. सत्र न्यायाधीश ने याची को दिसंबर 2020 में बरी कर दिया था.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी को पासपोर्ट जारी करने से इस आधार पर नहीं मना किया जा सकता कि केस से बरी होने के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है. कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस में बरी हो जाने के बाद आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाना जाएगा, जबतक कि अपील में सजा नहीं हो जाती.

यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने प्रमोद कुमार राजभर की याचिका पर दिया है.

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आपराधिक केस से बरी हो जाने के बाद याची ने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. लेकिन अर्जी पर इस आधार पर विचार नहीं किया गया कि सत्र न्यायालय द्वारा आपराधिक केस में उसे बरी कर देने के बाद सरकार ने अपील की है, जो अभी विचाराधीन है.

दरअसल, याची के खिलाफ वर्ष 2014 में यौन उत्पीड़न व बलात्कार का मुकदमा चला. सत्र न्यायाधीश ने याची को दिसंबर 2020 में बरी कर दिया था.

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