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समान अंक होने पर उम्र में बड़े का होगा चयन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में समान अंक पर एक के चयन और दूसरे के चयन न होने के मामले में सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट का कहना है कि दोनों में से उम्र में जो बड़ा है, उसका चयन किया गया. यह गलत नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Mar 27, 2021, 9:39 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के अधीनस्थ न्यायालय में स्टेनोग्राफर भर्ती परीक्षा-2017 परिणाम में न्यूनतम अंक पाकर सफल अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी की पद खाली हो तो चयन पर नियमानुसार विचार करने का निर्देश दिया है. दो अभ्यर्थियों के एक समान अंक पाने की स्थिति में आयु में बड़े की नियुक्ति के उपबंध के आधार पर दूसरे की नियुक्ति कर दी गई है. कोर्ट ने कहा इसमें कोई गलती नहीं है. कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है.

इसे भी पढ़ेंः सीतापुर जेल में बंद आजम खां ने कोरोना वैक्सीन लगवाने से किया इनकार

याचिका निस्तारित
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने धर्मेन्द्र कुमार सरोज की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एम ए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि अनुसूचित जाति कोटे का कट आफ अंक 158.28 घोषित किया गया था. याची को भी इतना ही अंक मिला लेकिन उसे चयनित नहीं किया गया क्योंकि याची से उम्र में बड़े अभ्यर्थी को भी इतने ही अंक मिले थे. विज्ञापन के क्लाज 11 में समान अंक की दशा में उम्र में बड़े को वरीयता देने का नियम है. इसके कारण दूसरे अभ्यर्थी का चयन हो गया. याची ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने चयन को सही माना और कहा कि पद खाली हो तो याची के भी चयन पर विचार किया जाए.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के अधीनस्थ न्यायालय में स्टेनोग्राफर भर्ती परीक्षा-2017 परिणाम में न्यूनतम अंक पाकर सफल अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी की पद खाली हो तो चयन पर नियमानुसार विचार करने का निर्देश दिया है. दो अभ्यर्थियों के एक समान अंक पाने की स्थिति में आयु में बड़े की नियुक्ति के उपबंध के आधार पर दूसरे की नियुक्ति कर दी गई है. कोर्ट ने कहा इसमें कोई गलती नहीं है. कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है.

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याचिका निस्तारित
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने धर्मेन्द्र कुमार सरोज की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एम ए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि अनुसूचित जाति कोटे का कट आफ अंक 158.28 घोषित किया गया था. याची को भी इतना ही अंक मिला लेकिन उसे चयनित नहीं किया गया क्योंकि याची से उम्र में बड़े अभ्यर्थी को भी इतने ही अंक मिले थे. विज्ञापन के क्लाज 11 में समान अंक की दशा में उम्र में बड़े को वरीयता देने का नियम है. इसके कारण दूसरे अभ्यर्थी का चयन हो गया. याची ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने चयन को सही माना और कहा कि पद खाली हो तो याची के भी चयन पर विचार किया जाए.

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