प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में अलीगढ़ के बृजेंद्र सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. इस अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया था. हालांकि कोर्ट ने अपीलार्थी को इस आधार पर बरी कर दिया कि उस पर लगाए गए आरोपों में हत्या का मकसद स्पष्ट नहीं हुआ.
मामले के अनुसार अलीगढ़ के टप्पल थाना क्षेत्र में पलार गांव निवासी रामचंद्र की भांजी ने थाने में रिपोर्ट लिखाई थी. भांजी का कहना था कि उसके मामा ने अपनी दूसरी पत्नी के नाम पर 12 बीघा जमीन ट्रांसफर की थी. उनकी मृत्यु के बाद मामी ने वह जमीन अपने नाम करवाने की प्रक्रिया शुरू की, जिससे उनका सौतेला बेटा बृजेंद्र सिंह नाखुश था. उसने मना भी किया लेकिन मामी ने उसकी बात नहीं मानी.
इसी वजह से 25/ 26 दिसंबर 1984 की रात बृजेंद्र और उसकी पत्नी खजानी देवी और एक अज्ञात व्यक्ति ने मिलकर गंडासे से हत्या कर दी. अधीनस्थ न्यायालय ने इस मामले में 8 नवंबर 1985 को बृजेंद्र और उसकी पत्नी खजानी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दोनों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
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