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Allahabad High Court ने जबरन धर्मांतरण मामले में लाल बंधुओं की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज की - हिमांशु दीक्षित

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने धर्मांतरण मामले में लाल बंधुओ की अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी के अनुसार आरबी लाल और विनोद बी लाल प्रभावशाली व्यक्ति हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Feb 28, 2023, 10:40 PM IST

प्रयागराज: सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल उनके भाई विनोद बी लाल तथा मैथ्यू सैमुअल सहित अन्य लोगों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरबी लाल और विनोद बी लाल प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो कि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण में लिप्त हैं, जैसा की जांच अधिकारी द्वारा एकत्र साक्ष्यों से प्रतीत होता है. उनकी चैरिटी के पीछे का उद्देश्य दोहरी प्रतीत होती है. जो समाज के निचले तबके के हितों को प्रभावित करने वाला है. कोर्ट ने इसे अग्रिम जमानत देने के लिए उचित मामला नहीं पाते हुए अग्रिम जमानत अर्जियां खारिज कर दी है. आरबी लाल व अन्य आरोपियों की जमानत पर न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सुनवाई की.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची गण पर लगाए गए जबरन धर्मांतरण के आरोप बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित हैं. याची प्राथमिकी में नामजद नहीं है. उसका नाम बाद में 2 गवाहों के बयान के आधार पर शामिल किया गया है. यह भी कहा गया कि इस मामले की विवेचना अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रसित है. वास्तविकता यह है कि जिस चर्च के द्वारा धर्मांतरण कराने का आरोप है याची उस चर्च का सदस्य तक नहीं है. याची सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति हैं. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद उसके खिलाफ 11 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. सभी मुकदमे राजनीतिक कारणों से दर्ज किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर एक राजनीतिक दल के लोगों ने दर्ज कराएं हैं.

अभियोजन की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एक अखंड एके सड ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याची गण बेहद प्रभावशाली लोग हैं. उनके विरुद्ध जांच अधिकारी ने पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए हैं. जिन से स्पष्ट है कि वह धर्मांतरण में लिप्त हैं. याची के संस्थान की आर्थिक स्रोतों की भी जांच की जा रही है. यह पता चला है कि जो आर्थिक स्रोत जुटाए जाते हैं, उनका उपयोग धर्मांतरण में किया जाता है. जांच में पता चला है कि यह लोग विदेशों से फंड एकत्र करते हैं. इसका उपयोग धर्मांतरण में करते हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी.

उल्लेखनीय है कि आरबी लाल सहित अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम 1921 की धारा 3/5 (1) , तथा आईपीसी की धारा 531, 520, 420, 467, 468, 471 के तहत कोतवाली फतेहपुर में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हिमांशु दीक्षित ने मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि उपरोक्त आरोपियों की मिलीभगत से इवेंजलिकल चर्च ऑफ इंडिया में 90 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया गया. शिकायत पर जब अधिकारियों की टीम चर्च में पहुंची तो उन्होंने पादरी विजय मसीह से पूछताछ की विजय ने अधिकारियों को बताया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से जारी है और 40 में दिन यह पूरी हो जाएगी. यह भी पता चला कि मिशन हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण कराने का प्रयास किया जा रहा था और अस्पताल के कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. इस शिकायत पर पुलिस ने 35 नामजद हुआ 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

यह भी पढे़ं-State Mafia Arrest: 3 करोड़ की मार्फीन के साथ राज्यस्तरीय तस्कर गिरफ्तार

प्रयागराज: सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल उनके भाई विनोद बी लाल तथा मैथ्यू सैमुअल सहित अन्य लोगों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरबी लाल और विनोद बी लाल प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो कि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण में लिप्त हैं, जैसा की जांच अधिकारी द्वारा एकत्र साक्ष्यों से प्रतीत होता है. उनकी चैरिटी के पीछे का उद्देश्य दोहरी प्रतीत होती है. जो समाज के निचले तबके के हितों को प्रभावित करने वाला है. कोर्ट ने इसे अग्रिम जमानत देने के लिए उचित मामला नहीं पाते हुए अग्रिम जमानत अर्जियां खारिज कर दी है. आरबी लाल व अन्य आरोपियों की जमानत पर न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सुनवाई की.

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची गण पर लगाए गए जबरन धर्मांतरण के आरोप बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित हैं. याची प्राथमिकी में नामजद नहीं है. उसका नाम बाद में 2 गवाहों के बयान के आधार पर शामिल किया गया है. यह भी कहा गया कि इस मामले की विवेचना अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रसित है. वास्तविकता यह है कि जिस चर्च के द्वारा धर्मांतरण कराने का आरोप है याची उस चर्च का सदस्य तक नहीं है. याची सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति हैं. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद उसके खिलाफ 11 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. सभी मुकदमे राजनीतिक कारणों से दर्ज किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर एक राजनीतिक दल के लोगों ने दर्ज कराएं हैं.

अभियोजन की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एक अखंड एके सड ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याची गण बेहद प्रभावशाली लोग हैं. उनके विरुद्ध जांच अधिकारी ने पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए हैं. जिन से स्पष्ट है कि वह धर्मांतरण में लिप्त हैं. याची के संस्थान की आर्थिक स्रोतों की भी जांच की जा रही है. यह पता चला है कि जो आर्थिक स्रोत जुटाए जाते हैं, उनका उपयोग धर्मांतरण में किया जाता है. जांच में पता चला है कि यह लोग विदेशों से फंड एकत्र करते हैं. इसका उपयोग धर्मांतरण में करते हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी.

उल्लेखनीय है कि आरबी लाल सहित अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम 1921 की धारा 3/5 (1) , तथा आईपीसी की धारा 531, 520, 420, 467, 468, 471 के तहत कोतवाली फतेहपुर में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हिमांशु दीक्षित ने मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि उपरोक्त आरोपियों की मिलीभगत से इवेंजलिकल चर्च ऑफ इंडिया में 90 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया गया. शिकायत पर जब अधिकारियों की टीम चर्च में पहुंची तो उन्होंने पादरी विजय मसीह से पूछताछ की विजय ने अधिकारियों को बताया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से जारी है और 40 में दिन यह पूरी हो जाएगी. यह भी पता चला कि मिशन हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण कराने का प्रयास किया जा रहा था और अस्पताल के कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. इस शिकायत पर पुलिस ने 35 नामजद हुआ 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.

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