प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court hearing today) ने पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई गाजियाबाद की युवती की 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिका पोषणीय नहीं है. वह सक्षम फोरम में जा सकती है. यह आदेश न्यायमूर्ति एस. कुमार और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने रुबीना समेत अन्य की याचिका पर दिया है.
याची का कहना था कि वह अपने कमरे में रात में सो रही थी. गाजियाबाद के कोतवाली स्टेशन की पुलिस उसके आवास पहुंची और उसे अपने साथ चलने को कहा. याची जब इसका कारण पूछने लगी, तो पुलिस ने कुछ नहीं बताया. पुलिस उसे जबरदस्ती कोतवाली स्टेशन के साइबर सेल ले गई. याची ने पुलिस हिरासत को गैरकानूनी बताया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक यह सही नहीं है.
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इस संबंध में कोर्ट ने पूछा कि क्या याची की ओर से कोई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पहले दाखिल की गई है. इस पर सरकारी अधिवक्ता ने जवाब दिया कि ऐसी कोई याचिका राहत पाने के संबंध में दाखिल नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से दिए गए तर्क की पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने पर उसके मूल अधिकारों का हनन हुआ है.
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