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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट का इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो किशोरियों की मांग अस्वीकार कर दिया है. जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) ने मां मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Apr 13, 2022, 9:46 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो किशोरियों की मांग अस्वीकार कर दिया है. मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने को लेकर दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) ने मां मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है.

प्रयागराज के अतरसुइया थाना अंतर्गत निवासिनी मां अंजू देवी ने कोर्ट से कहा कि उसकी बेटी बालिग है. उसे एक लड़की ने अवैध तरीके से जबरन रखा है. उसकी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराया जाय.

इसे भी पढ़ेंः वोटर कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस किशोर की आयु निर्धारण के लिए प्रासंगिक नहीं: HC

आदेश पर दोनों लड़कियां कोर्ट में हाजिर हुईं. कोर्ट को बताया कि वे वयस्क हैं. दोनों ने आपसी सहमति और मर्जी से समलैंगिक विवाह कर लिया है. उनके समलैंगिक विवाह को न्यायालय द्वारा मानयता प्रदान करने की मांग की. साथ ही कहा कि उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने से रोका जाय.

सरकारी वकील ने कहा कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है. कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है. समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि इस शादी से संतानोत्पत्ति नहीं की जा सकती. कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को खारिज कर दिया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दी है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की दो किशोरियों की मांग अस्वीकार कर दिया है. मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने को लेकर दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी. जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) ने मां मंजू देवी की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है.

प्रयागराज के अतरसुइया थाना अंतर्गत निवासिनी मां अंजू देवी ने कोर्ट से कहा कि उसकी बेटी बालिग है. उसे एक लड़की ने अवैध तरीके से जबरन रखा है. उसकी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराया जाय.

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आदेश पर दोनों लड़कियां कोर्ट में हाजिर हुईं. कोर्ट को बताया कि वे वयस्क हैं. दोनों ने आपसी सहमति और मर्जी से समलैंगिक विवाह कर लिया है. उनके समलैंगिक विवाह को न्यायालय द्वारा मानयता प्रदान करने की मांग की. साथ ही कहा कि उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने से रोका जाय.

सरकारी वकील ने कहा कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है. कहा गया कि किसी भी कानून में समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी गई है. समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि इस शादी से संतानोत्पत्ति नहीं की जा सकती. कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को खारिज कर दिया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दी है.

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