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दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी पुरानी पेंशन के हकदार : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी पुरानी पेंशन के हकदार होंगे. हाईकोर्ट ने नियमित होने से पूर्व दी गई सेवा को पेंशन लाभ में जोड़ने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 10, 2023, 9:42 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वारा नियमित होने से पूर्व दी गई सेवा उसके पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभो में जोड़ी जाएगी. कोर्ट ने जल संस्थान द्वारा अपनाई गई पेंशन नीति को भेदभाव पूर्ण करार देते हुए रिटायर्ड कर्मचारी को उसके दैनिक वेतन भोगी के रूप में की गई सेवा को पेंशन लाभ में जोड़कर पेंशन देने का निर्देश दिया है. जल संस्थान के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दयाशंकर की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने दिया.

याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची जल संस्थान में 1987 में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त हुआ. 2006 में वह नियमित हो गया तथा अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त हुआ. अधिवक्ता का कहना था कि याची को दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी गई सेवा उसके पेंशन लाभ में जोड़कर उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए. अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने जयप्रकाश केस में यह तय किया है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मी जो बाद में नियमित हो जाता है को पुरानी पेंशन पाने का अधिकार है. प्रेम सिंह केस में भी सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने नियमितीकरण से पूर्व दी गई सेवा को पेंशन व अन्य परिलाभों के भुगतान में अनिवार्य रूप से जोड़ने का निर्देश दिया है.

जल संस्थान द्वारा जो पेंशन नियमावली अपनाई गई है उसे जयप्रकाश केस में हाईकोर्ट द्वारा पहले ही संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जल संस्थान द्वारा अपनाई गई पेंशन नियमावली समान पद पर काम करने वाले कर्मचारियों में कृतिम वर्ग बनाती है. कोर्ट ने याची द्वारा दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी गई सेवा को जोड़कर उसे पेंशन लाभ देने का निर्देश दिया है.

पढ़ेंः सहायक प्रोफेसर के 907 पदों पर भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी द्वारा नियमित होने से पूर्व दी गई सेवा उसके पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभो में जोड़ी जाएगी. कोर्ट ने जल संस्थान द्वारा अपनाई गई पेंशन नीति को भेदभाव पूर्ण करार देते हुए रिटायर्ड कर्मचारी को उसके दैनिक वेतन भोगी के रूप में की गई सेवा को पेंशन लाभ में जोड़कर पेंशन देने का निर्देश दिया है. जल संस्थान के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दयाशंकर की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने दिया.

याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची जल संस्थान में 1987 में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त हुआ. 2006 में वह नियमित हो गया तथा अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त हुआ. अधिवक्ता का कहना था कि याची को दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी गई सेवा उसके पेंशन लाभ में जोड़कर उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए. अधिवक्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने जयप्रकाश केस में यह तय किया है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मी जो बाद में नियमित हो जाता है को पुरानी पेंशन पाने का अधिकार है. प्रेम सिंह केस में भी सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने नियमितीकरण से पूर्व दी गई सेवा को पेंशन व अन्य परिलाभों के भुगतान में अनिवार्य रूप से जोड़ने का निर्देश दिया है.

जल संस्थान द्वारा जो पेंशन नियमावली अपनाई गई है उसे जयप्रकाश केस में हाईकोर्ट द्वारा पहले ही संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जल संस्थान द्वारा अपनाई गई पेंशन नियमावली समान पद पर काम करने वाले कर्मचारियों में कृतिम वर्ग बनाती है. कोर्ट ने याची द्वारा दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी गई सेवा को जोड़कर उसे पेंशन लाभ देने का निर्देश दिया है.

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