प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को किसी मेडिकल संस्थान द्वारा जारी सर्टिफिकेट को सिर्फ सत्यापित करने का अधिकार (CMO rights over interstate transfer) है. सीएमओ को मेडिकल सर्टिफिकेट में बताई गई बीमारी पर कोई टिप्पणी करने या अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के आवेदन पर कितने अंक देने चाहिए, ये बताने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के मामले में मेडिकल आधार पर किए गए आवेदन को निरस्त किए जाने पर बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब तलब किया है.
अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में सीएमओ का अधिकार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court on CMO Rights) में चौधरी गौरव सिंह पटेल व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश गुरुवार न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिया. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची गण सोनभद्र जिले में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं. उन्होंने मेडिकल आधार पर 2 जून 2023 को जारी शासनादेश के अनुसार अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की. अपने आवेदन में याची संख्या एक ने वाराणसी के पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी प्रमाण पत्र लगाया.
इसमें कहा गया था कि याची कैंसर से पीड़ित है. इसी प्रकार याची संख्या दो की बेटी हृदय रोग से पीड़ित थी. उसने सीएमओ वाराणसी द्वारा जारी प्रमाण पत्र संलग्न किया था. तीसरे याची की पत्नी भी कैंसर से पीड़ित थी. अधिवक्ता का कहना था कि 2 जून 2023 को जारी शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि असाध्य रोगों से पीड़ित आवेदनों पर 20 अंक दिए जाएंगे. मगर याची गण को 20 अंक न देकर के गलत तरीके से उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया. अधिवक्ता का यह भी कहना था कि 16 जून 2023 को जारी सर्कुलर में उन असाध्य रोगों का हवाला दिया गया है. इसमें सभी प्रकार के कैंसर और सभी प्रकार के हृदय रोग को पहले और दूसरे स्थान पर रखा गया है. मगर प्रमाण पत्र देने के बावजूद याचीगण को 20 अंक नहीं दिया गया .
बेसिक शिक्षा परिषद की अधिवक्ता अर्चना सिंह का कहना था कि याची गण के प्रमाण पत्रों की समीक्षा संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने की थी. उनकी टीम ने पाया कि ये रोग 16 जून 23 को जारी सर्कुलर के दायरे में नहीं आते हैं. इसलिए उनको 20 अंक नहीं दिये जा सकते हैं. कोर्ट का कहना था कि संबंधित जिले के सीएमओ को सिर्फ प्रमाण पत्र को सत्यापित करने का अधिकार है. उनके पास इस बात का विकल्प नहीं है कि वह बीमारी को लेकर कोई टिप्पणी करें या यह बताएं कि आवेदन पर कितने अंक मिलने चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में बेसिक शिक्षा परिषद और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.