प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रांसफर नीति के अभाव में शिक्षकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं रोका (Allahabad High Court on basic education act 1972) जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने इटावा में कार्यरत सहायक अध्यापिका विभा पाठक की याचिका पर अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा और दूसरे पक्ष को सुनकर दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बेसिक एजुकेशन एक्ट 1972 के रूल 8(2)(डी) (Allahabad High Court on basic education act 1972) का क्रियान्वयन किसी नीति के अभाव में रोका नहीं जा सकता है. सरकार यदि ट्रांसफर को लेकर कोई नीति नहीं लाती है, तो यह नहीं कह सकती कि अंतर्जनपदीय ट्रांसफर के संबंध में बनाए गए रूल 8(2)(डी) को लागू नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा है कि इस रूल में भी ऐसा कुछ नहीं है. जिससे यह कहा जा सके कि इसे लागू करने के लिए कोई नीति बनाना आवश्यक है.
कोर्ट (Allahabad High Court) ने याचिका स्वीकार करते हुए शिक्षिका द्वारा दी गई अंतर्जनपदीय ट्रांसफर की अर्जी को खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि निदेशक बेसिक शिक्षा को याची के स्थानांतरण के संदर्भ में उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने का निर्देश दिया है. याची इटावा के संविलियन विद्यालय में सहायक अध्यापिका है. उसने अपना स्थानांतरण इटावा से गौतम बुद्ध नगर करने के लिए अर्जी दी थी. याची का कहना है कि उसके पति गौतम बुद्ध नगर में प्राइवेट नौकरी करते हैं और पैरालिसिस से पीड़ित हैं. दिल्ली और चंडीगढ़ में उनका इलाज चल रहा है. यदि याची का स्थानांतरण गौतमबुद्ध नगर कर दिया गया तो अपनी ड्यूटी करने के साथ वह पति की भी देखभाल कर सकेगी. लेकिन विभाग ने उसका आवेदन निरस्त कर दिया. इस पर उसने याचिका दाखिल की थी.
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बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि सरकार ने रूल 8(2) (डी) को लेकर के अभी तक कोई नीति नहीं तय की है. कोर्ट ने इस दलील को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि इस नियम के तहत महिला शिक्षक को विशेष परिस्थितियों में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की छूट दी गई है. इसे लागू करने के लिए नीति की बाध्यता नहीं है.
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