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दलित महिला का वोटर लिस्ट से नाम हटाया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस - दलित महिला का नाम मतदाता सूची से हटाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलित महिला का नाम मतदाता सूची से हटाने के मामले (dalit woman name missing in voter list ) में नोटिस जारी किया है. इस मामले में मामले में स्पेशल जज एस सी एस टी संभल, जिलाधिकारी मनीष बंसल, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और बीएलओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.

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Published : Dec 20, 2022, 1:40 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलित महिला का नाम मतदाता सूची से हटाने के मामले (dalit woman name missing in voter list ) में स्पेशल जज एस सी एस टी संभल, जिलाधिकारी मनीष बंसल, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और बीएलओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिकाकर्ता सीमा देवी का कहना है कि वह संभल के चंदौसी अकबरपुर गांव की रहने वाली है. उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया. जिसकी उसने शिकायत स्थानीय अधिकारियों से की थी. मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद उसने स्पेशल जज एस सी/ एस टी के यहां शिकायत परिवाद दर्ज कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. स्पेशल जज ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने से इंकार कर दिया.

इसके बाद याची ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याची का कहना है कि मतदाता सूची से नाम हटाने से पूर्व उसे कोई नोटिस नहीं जारी किया गया. मतदाता सूची से नाम हटने की वजह से वह अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पायी. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलित महिला का नाम मतदाता सूची से हटाने के मामले (dalit woman name missing in voter list ) में स्पेशल जज एस सी एस टी संभल, जिलाधिकारी मनीष बंसल, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और बीएलओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिकाकर्ता सीमा देवी का कहना है कि वह संभल के चंदौसी अकबरपुर गांव की रहने वाली है. उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया. जिसकी उसने शिकायत स्थानीय अधिकारियों से की थी. मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद उसने स्पेशल जज एस सी/ एस टी के यहां शिकायत परिवाद दर्ज कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. स्पेशल जज ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने से इंकार कर दिया.

इसके बाद याची ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याची का कहना है कि मतदाता सूची से नाम हटाने से पूर्व उसे कोई नोटिस नहीं जारी किया गया. मतदाता सूची से नाम हटने की वजह से वह अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पायी. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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