प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Shia Central Waqf Board) के चुनाव की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार (UP Government) और बोर्ड से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि यदि 24 मार्च, 2021 की अधिसूचना के तहत चुनाव करा लिया जाता है तो वह याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा. याचिका की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने अल्लामा जमीर नकवी व अन्य की याचिका पर दिया है.
कोर्ट ने जवाबी हलफनामे के जरिए पूछा है कि मतदाता सूची के लिए मुतवल्ली किस आधार पर चयनित किए गए हैं. इससे पहले क्या इनकी वार्षिक आय की ऑडिट करा दी गयी है या नहीं. क्योंकि एक लाख की सालाना आय वाले मुतवल्लियों को ही सदस्य चुनने का अधिकार है.
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की. इनका कहना है कि वक्फ एक्ट के अनुसार वक्फ के वही मुतवल्ली बोर्ड के सदस्य चुनते हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो. इसके लिए वार्षिक ऑडिट किया जाना जरूरी है. बिना यह प्रक्रिया पूरी किए चुनाव कराना अवैध है.
याची का कहना है कि पिछले दस सालों से वक़्फ़ सम्पत्तियों का ऑडिट नहीं कराया गया है और पुरानी वोटर लिस्ट से मुतवल्ली कोटे का चुनाव कराया जा रहा है. विवादों में घिरे पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी और सैयद फ़ैज़ी मुतवल्ली कोटे से फिर सदस्य चुने गए हैं. 11 चुने हुए और मनोनीत सदस्यों के द्वारा चेयरमैन का चुनाव किया जाता है. इनमें से आठ सदस्यों का चुनाव होता है, जबकि तीन नामित किये जाते हैं.
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