प्रयागराज : सिविल कोर्ट की डिक्री व हाईकोर्ट के आदेश की पहले जान-बूझकर अवहेलना की. जब गर्दन फंसती दिखी तो डीएम व एसडीएम ने सारी गलती का ठीकरा छोटे से अधिकारी सर्वे कानूनगो नागेन्द्र नाथ चौबे पर फोड़ दिया. इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि विश्वास नहीं होता कि दो कमरे और बाउंड्री को अवैध निर्माण मानकर ध्वस्त करने की जानकारी डीएम मथुरा और एसडीएम सदर, मथुरा को न रही हो.
कोर्ट ने कहा कि ध्वस्तीकरण पर रोक के बावजूद निर्माण ढहाने की जवाबदेही अवमानना आरोप निर्मित कर ही तय हो सकेगा. दोनों अधिकारियों के बचाव को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और नवनीत सिंह चहल जिलाधिकारी मथुरा, क्रांति शेखर सिंह एसडीएम सदर, एसके तिवारी, सहायक नगर आयुक्त नगर निगम मथुरा वृंदावन और गौरव त्रिपाठी क्षेत्राधिकारी सदर, मथुरा को कारण बताओ नोटिस जारी कर 16 जुलाई को हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सभी अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि उनके खिलाफ जान-बूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर क्यों न अवमानना का आरोप निर्मित किया जाये. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने विशाल शर्मा की अवमानना याचिका पर दिया.
मालूम हो कि विवादित स्थल को लेकर याची के पक्ष में सिविल कोर्ट की डिक्री है. इसके बावजूद अवैध निर्माण मानकर ध्वस्तीकरण करना चाहा तो हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. फिर भी निर्माण गिरा दिया गया. कोर्ट ने सरकारी वकील से इस बारे में जानकारी मांगी तो डीएम और एसडीएम ने यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि कार्रवाई सर्वे कानूनगो ने स्वयं खड़े होकर कराई है. वही आदेश की अवहेलना का जवाबदेह है, वे नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी मान रहे हैं कि आदेश की अवहेलना की गई है, पर उन्होंने नहीं की. कोर्ट ने सभी अधिकारियों को तलब किया है. अब इसकी अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी.
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