प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंदावा झूंसी में अधिवक्ता अभिषेक यादव के मकान के ध्वस्तीकरण के मामले में प्रयागराज विकास प्राधिकरण से हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने पीडीए को नियमानुसार कार्रवाई करने को भी कहा है.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है. इससे पूर्व चीफ जस्टिस ने दो वकीलों को एमिकस क्यूरी नियुक्त कर उन्हें पीडीए के दफ्तर भेजकर यह पता लगाने को कहा कि पीडीए ने अंदावा क्षेत्र में कितने लोगों को ध्वस्तीकरण के नोटिस दिए हैं.
सुनवाई के दौरान पीडीए के जोनल अधिकारी संजीव उपाध्याय एवं विधि अधिकारी राम सिंगार वर्मा उपस्थित रहे. लंच के बाद पुनः सुनवाई पर एमिकस क्यूरी नियुक्त वकीलों ने पीडीए के रिकॉर्ड पेश किए. बताया कि झूंसी अंदावा क्षेत्र में 300 से अधिक ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी किए गए हैं. इस दौरान हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने इस मामले में पीडीए उपाध्यक्ष व जोनल अधिकारी पर फिर बिल्डर्स से मिलीभगत का आरोप लगाया. यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रकरण का तत्काल संज्ञान लेते हुए जनहित में पीडीए के मुख्य अभियंता (सिविल) को प्रथमदृष्टया दोषी मानते हुए प्रतीक्षारत कर दिया है. उन्होंने कहा कि पीडीए के उपाध्यक्ष, मुख्य अभियंता एवं जोनल अधिकारी ने किसी प्लाटर/ बिल्डर को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अधिवक्ता अभिषेक यादव का मकान गिराया है.
बाद में औपचारिक बातचीत में अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पीडीए उपाध्यक्ष एवं जोनल अधिकारी के मनमाने एवं दोषपूर्ण व्यवहार से अधिवक्ता समाज काफी आक्रोशित है. यदि शेष दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अविलम्ब कार्यवाही नहीं होती तो हाईकोर्ट बार अपने स्तर से पीडीए के अधिकारियों की जांच कराने की कार्यवाही को बाध्य होगा.
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