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जिसने प्रमाणपत्र जारी किया उसी को व्याख्या का अधिकार- HC - न्यायमूर्ति अजित कुमार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जिसने प्रमाणपत्र जारी किया है उसी को उसकी व्याख्या करने का अधिकार है, अन्य किसी को नहीं. विज्ञापन में अहर्ता तिथि को पद की योग्यता होना जरूरी है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Jan 10, 2022, 10:23 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद कोईकोर्ट ने कहा कि जिसने प्रमाणपत्र जारी किया है उसी को उसकी व्याख्या करने का अधिकार है, अन्य किसी को नहीं. कोर्ट ने कहा कि किसी पद की भर्ती विज्ञापन में अर्हता की दी गई अंतिम तिथि तक अर्ह अभ्यर्थियों को ही आवेदन देने का अधिकार है. अंतिम तिथि के बाद अर्हता अर्जित करने वाले को भर्ती में शामिल होने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने आवेदन जमा करने की तिथि पर पांच साल का अनुभव न रखने वाले याची की अभ्यर्थिता निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने संजय सिंह परिहार की याचिका पर दिया है.

याचिका में चयन सूची को रद्द करने और चयनित अभ्यर्थियों की योग्यता पेश करने का समावेश जारी करने की मांग की गई थी. याची का कहना था कि उससे कम अंक पाने वाले चयनित किए गए हैं. जबकि उसे निर्धारित अर्हता रखने के बावजूद नियुक्त नहीं किया गया है.

सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची पांच साल का अनुभव नहीं रखता है. उसने स्वयं ही आवेदन में लिखा है कि 1 जुलाई 2008 से 29 जून 2013 तक एकाउंटेंट का कार्य किया है, जो पांच साल पूरे नहीं होते.

इसे भी पढ़ें- न्यायिक आदेश के विरुद्ध विवेचना स्थानांतरित करने का डीआईजी का आदेश रद्द...

राजेन्द्र पटेरिया कांट्रैक्टर और बिल्डर ने याची के पक्ष में अनुभव प्रमाणपत्र जारी किया है. जिसमें 2008 से 2013 तक का अनुभव दिखाया गया है. महीना और तारीख नहीं दी गई है. इस प्रमाणपत्र की याची को अपने मन की व्याख्या करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कहा याची निर्धारित अनुभव अर्हता नहीं रखता. ऐसे में उसका आवेदन निरस्त कर प्राधिकारी ने कोई गलती नहीं की है.

प्रयागराजः इलाहाबाद कोईकोर्ट ने कहा कि जिसने प्रमाणपत्र जारी किया है उसी को उसकी व्याख्या करने का अधिकार है, अन्य किसी को नहीं. कोर्ट ने कहा कि किसी पद की भर्ती विज्ञापन में अर्हता की दी गई अंतिम तिथि तक अर्ह अभ्यर्थियों को ही आवेदन देने का अधिकार है. अंतिम तिथि के बाद अर्हता अर्जित करने वाले को भर्ती में शामिल होने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने आवेदन जमा करने की तिथि पर पांच साल का अनुभव न रखने वाले याची की अभ्यर्थिता निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने संजय सिंह परिहार की याचिका पर दिया है.

याचिका में चयन सूची को रद्द करने और चयनित अभ्यर्थियों की योग्यता पेश करने का समावेश जारी करने की मांग की गई थी. याची का कहना था कि उससे कम अंक पाने वाले चयनित किए गए हैं. जबकि उसे निर्धारित अर्हता रखने के बावजूद नियुक्त नहीं किया गया है.

सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची पांच साल का अनुभव नहीं रखता है. उसने स्वयं ही आवेदन में लिखा है कि 1 जुलाई 2008 से 29 जून 2013 तक एकाउंटेंट का कार्य किया है, जो पांच साल पूरे नहीं होते.

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राजेन्द्र पटेरिया कांट्रैक्टर और बिल्डर ने याची के पक्ष में अनुभव प्रमाणपत्र जारी किया है. जिसमें 2008 से 2013 तक का अनुभव दिखाया गया है. महीना और तारीख नहीं दी गई है. इस प्रमाणपत्र की याची को अपने मन की व्याख्या करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने कहा याची निर्धारित अनुभव अर्हता नहीं रखता. ऐसे में उसका आवेदन निरस्त कर प्राधिकारी ने कोई गलती नहीं की है.

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