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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगरेप के आरोपी सगे भाइयों को दी जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक दुराचार के आरोपी दो सगे भाइयों को जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता के मेडिकल जांच कराने से इनकार करने के कारण दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 20, 2022, 9:24 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक दुराचार के आरोपी दो सगे भाइयों को जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता के मेडिकल जांच कराने से इनकार करने के कारण दिया है. यह आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने सुरेश यादव व अन्य की जमानत अर्जी पर दिया.

हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर है. आरोपों की प्रामाणिकता स्थापित करना आवश्यक है. दुष्कर्म के आरोप को प्रमाणित करने के लिए पीड़िता की ओर से खुद को चिकित्सकीय जांच करवाना अनिवार्य है. मेडिकल जांच कराना या न कराना उसकी अपनी पसंद के अनुसार नहीं हो सकता.

विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम)/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए दो आपराधिक अपील दाखिल थी. अधीनस्थ अदालत ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था. प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता का कुछ अज्ञात लोगों ने अपहरण किया. फिर बेहोश किया और उसके बाद उसे एक कमरे में बंद कर दिया.

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाई कोर्ट में 20 जनवरी से वर्चुअल सुनवाई की व्यवस्था, महानिबंधक ने दिए आदेश

वे उसे शराब पिलाते रहे और दुराचार करते रहे. एक सप्ताह बाद रेलवे क्रॉसिंग के पास छोड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पीड़िता के बयान पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामूहिक दुराचार के आरोपी दो सगे भाइयों को जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता के मेडिकल जांच कराने से इनकार करने के कारण दिया है. यह आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने सुरेश यादव व अन्य की जमानत अर्जी पर दिया.

हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर है. आरोपों की प्रामाणिकता स्थापित करना आवश्यक है. दुष्कर्म के आरोप को प्रमाणित करने के लिए पीड़िता की ओर से खुद को चिकित्सकीय जांच करवाना अनिवार्य है. मेडिकल जांच कराना या न कराना उसकी अपनी पसंद के अनुसार नहीं हो सकता.

विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम)/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए दो आपराधिक अपील दाखिल थी. अधीनस्थ अदालत ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था. प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता का कुछ अज्ञात लोगों ने अपहरण किया. फिर बेहोश किया और उसके बाद उसे एक कमरे में बंद कर दिया.

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वे उसे शराब पिलाते रहे और दुराचार करते रहे. एक सप्ताह बाद रेलवे क्रॉसिंग के पास छोड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पीड़िता के बयान पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए.

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