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एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष एवं महामंत्री की गिरफ्तारी पर HC ने लगाई रोक

प्रयागराज के अटाला बवाल में तीन आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली राहत मिल गई है. कोर्ट ने 25-25 हजार के इनामी शाह आलम, उमर खालिद व जीशान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

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एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष एवं महामंत्री के ऊपर कार्रवाई पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है
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Published : Sep 8, 2022, 9:04 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गत 10 जून को हुए अटाला बवाल में 25-25 हजार रुपये के इनामी आरोपियों असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम व महामंत्री जीशान रहमानी और सोशल एक्टिविस्ट उमर खालिद को राहत देते हुए उनके खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह (Justice Rajbir Singh) ने तीनों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर अधिवक्ता राजवेंद्र सिंह , मोहम्मद सईद एवं केके राय सुनकर दिया है. एडवोकेट केके राय ने आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि खुल्दाबाद और करेली थानों में दर्ज मामलों में हिंसा की साजिश रचने के तीनों आरोपियों पर 25-25 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया गया था. तीनों की ओर से दलील दी गई कि घटना के वक्त वे घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. पुलिस ने उन्हें राजनीतिक कारणों से झूठा फंसाया है. पुलिस ने न तो उनके घटना के समय मौजूद होने के सबूत दिए न किसी सीसीटीवी फुटेज में उन्हें पाया गया है.

यह भी पढ़ें- संस्कृत पढ़ाने पर दलित शिक्षक का उत्पीड़न, जातिगत टिप्पणी व चोटी काटने का आरोप

करीब 54 पुलिस वालों के बयान कलमबंद किया गया पर किसी ने याचियों का नाम नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस में उनके खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज किया गया है. जिसमें कहा गया कि उमर खालिद नौ जून से 12 जून तक आजमगढ़ में एक छात्र सम्मेलन में था. जिसमें कहा गया कि नागरिकता विरोधी आंदोलन में सक्रिय होने के कारण उन्हें जानबूझकर फंसाया गया.

यह भी पढ़ें-केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू बोले, भारत तोड़ो यात्रा पर हैं राहुल गांधी

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गत 10 जून को हुए अटाला बवाल में 25-25 हजार रुपये के इनामी आरोपियों असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम व महामंत्री जीशान रहमानी और सोशल एक्टिविस्ट उमर खालिद को राहत देते हुए उनके खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह (Justice Rajbir Singh) ने तीनों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर अधिवक्ता राजवेंद्र सिंह , मोहम्मद सईद एवं केके राय सुनकर दिया है. एडवोकेट केके राय ने आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि खुल्दाबाद और करेली थानों में दर्ज मामलों में हिंसा की साजिश रचने के तीनों आरोपियों पर 25-25 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया गया था. तीनों की ओर से दलील दी गई कि घटना के वक्त वे घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. पुलिस ने उन्हें राजनीतिक कारणों से झूठा फंसाया है. पुलिस ने न तो उनके घटना के समय मौजूद होने के सबूत दिए न किसी सीसीटीवी फुटेज में उन्हें पाया गया है.

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करीब 54 पुलिस वालों के बयान कलमबंद किया गया पर किसी ने याचियों का नाम नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस में उनके खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज किया गया है. जिसमें कहा गया कि उमर खालिद नौ जून से 12 जून तक आजमगढ़ में एक छात्र सम्मेलन में था. जिसमें कहा गया कि नागरिकता विरोधी आंदोलन में सक्रिय होने के कारण उन्हें जानबूझकर फंसाया गया.

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