प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के व्यापारियों को बड़ी राहत दी है. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जीएसटी ट्रैन 1 और 2 जमा करने में नाकाम रहे सभी जीएसटी पंजीकृत व्यापारियों को 8 सप्ताह के भीतर अपने क्षेत्रीय टैक्स विभाग से संपर्क करने की छूट दी है. कोर्ट ने हाईकोर्ट की शरण में आये सभी याचियों को जी एस टी ट्रैन 1व 2 ऑनलाइन जमा करने का उचित अवसर देने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस तथा न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने मेसर्स रेटेक फियोन फ्रिक्शन टेक्नोलॉजी सहित सैकड़ों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि सभी याचियों को चार हफ्ते में अपने क्षेत्रीय प्राधिकारियों के समक्ष ट्रैन 1 व 2 व्यक्तिगत रूप से जमा करने की अनुमति दी जाय. साथ ही कोर्ट ने टैक्स विभाग को जीएसटी कानून की धारा 140 और नियम 117 का अनुपालन कर दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. साथ ही कहा है कि इस रिपोर्ट पर दो हफ्ते में अनापत्ति ली जाय. साथ ही आपत्ति दाखिल करने का भी सीमित अवसर दिया जाय. कोर्ट ने कहा है कि यह प्रक्रिया तीन हफ्ते में पूरी कर ली जाय और सभी प्राधिकारी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट जीएसटी नेटवर्क को प्रेषित करें. कोई भी फार्म समय सीमा बीतने के आधार पर अस्वीकार न किया जाय.
याचिका पर अधिवक्ता शुभम अग्रवाल, निशांत मिश्र,प्रवीण कुमार,राहुल अग्रवाल भारत सरकार के अपर सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह,सुदर्शन सिंह,कृष्ण जी शुक्ल,प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, अपूर्व हजेला,बी पी सिंह कछवाहा, केंद्रीय उत्पाद एवं वस्तु कर विभाग के अधिवक्ता गौरव महाजन,रमेश चंद्र शुक्ल,अशोक सिंह,बी के एस रघुवंशी, कृष्णा अग्रवाल ने बहस की.याचिका में उठाते गये अन्य विंदुओं पर विचार न करते हुए कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते टैक्स इनपुट जमा न कर पाने वाले कर दाता पंजीकृत व्यापारियों को विवादों के खात्मे का अवसर दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि जी एस टी कानून की शर्तों के अधीन व्यापारियों को टैक्स क्रेडिट लेने का अधिकार है. टैक्स प्राधिकारियों को पंजीकृत कर दाताओं को अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए. इन्हें अपना दावा करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि जी एस टी पोर्टल राज्य प्राधिकारियों की देन है.उनकी वैधानिक जिम्मेदारी है कि पोर्टल ठीक से काम करें. बाधित, अनियमित पोर्टल के संचालन का खामियाजा टैक्स पेयर को भुगतने के लिए विवश नहीं किया जा सकता.