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पुलिस भर्ती 2018 मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 याचियों को शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल होने के दिए निर्देश - allahabad high court on police recruitment

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 8 में से सात याचिओं को शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल होने के निर्देश दिए हैं. ये आदेश सीएमओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर दिए गए हैं. एक याची जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ था.

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Published : Jun 9, 2020, 4:51 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि पुलिस भर्ती बोर्ड शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट पर जताई गई आपत्ति पर दोबारा टेस्ट कराने में विफल रहता है तो हाईकोर्ट को जांच कराने का आदेश देने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस भर्ती नियमावली से स्पष्ट है कि शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट से असंतुष्ट अभ्यर्थी यदि उसी दिन आपत्ति करता है तो बोर्ड अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में डॉक्टरों के पैनल से दोबारा टेस्ट करायेगा. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कोर्ट मेडिकल बोर्ड को जांच करने का आदेश दे सकती है.

कोर्ट ने दोबारा जांच का निर्देश देने के हाईकोर्ट के अधिकार पर उठायी गयी सरकार की आपत्ति को खारिज कर दिया और सीएमओ गोरखपुर की शारीरिक मानक सत्यापन जांच रिपोर्ट के आधार पर याचियों को चयन के अगले स्टेज में शामिल करने और मेरिट में आने पर चयनित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी ने जितेन्द्र कुमार सिंह और 7 अन्य लोगों की याचिका पर दिया है.

जांच के लिए नहीं पहुंचा एक याची
8 याचियों में से एक याची दोबारा जांच के लिए नहीं आया, जिस कारण उसकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी. बाकी 7 याचियों को अगले स्टेज में शामिल करने का निर्देश दिया गया है. याचिका पर अधिवक्ता आदर्श सिंह व अजीत कुमार सिंह ने बहस की थी.

पुलिस भर्ती 2018 की लिखित परीक्षा में पास हुए थे याची
बता दें कि याचीगण पुलिस भर्ती 2018 में लिखित परीक्षा में सफल हुए और शारीरिक मानक सत्यापन परीक्षा हुई, जिसमें उनकी लंबाई 168 सेंटीमीटर से कम होने के कारण अनफिट कर दिया गया. उन्होंने टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए दोबारा जांच की माग की, मगर भर्ती बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं लिया. इससे परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सीएमओ ने दोबारा की जांच
कोर्ट के आदेश पर सीएमओ, एक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की डाक्टर्स की टीम ने अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में जांच की. सीएमओ की रिपोर्ट में कहा गया कि 7 याचियों की लंबाई 168 सेमी. या अधिक है. साथ ही बताया गया कि एक याची जांच के लिए हाजिर नहीं हआ. इस रिपोर्ट को बोर्ड ने अभी तक चुनौती भी नहीं दी है.

सरकार की तरफ से दी गई दलील
सरकार की तरफ से कहा गया कि बोर्ड द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड को जांच का अधिकार है. उसकी राय अंतिम है. हाईकोर्ट को दोबारा जांच का आदेश देने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और याचियों को चयन प्रक्रिया के अगले स्टेज की शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया है. यह प्रक्रिया 6 हफ्ते में पूरी करने का भी निर्देश दिया गया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि पुलिस भर्ती बोर्ड शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट पर जताई गई आपत्ति पर दोबारा टेस्ट कराने में विफल रहता है तो हाईकोर्ट को जांच कराने का आदेश देने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस भर्ती नियमावली से स्पष्ट है कि शारीरिक मानक सत्यापन टेस्ट से असंतुष्ट अभ्यर्थी यदि उसी दिन आपत्ति करता है तो बोर्ड अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में डॉक्टरों के पैनल से दोबारा टेस्ट करायेगा. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो कोर्ट मेडिकल बोर्ड को जांच करने का आदेश दे सकती है.

कोर्ट ने दोबारा जांच का निर्देश देने के हाईकोर्ट के अधिकार पर उठायी गयी सरकार की आपत्ति को खारिज कर दिया और सीएमओ गोरखपुर की शारीरिक मानक सत्यापन जांच रिपोर्ट के आधार पर याचियों को चयन के अगले स्टेज में शामिल करने और मेरिट में आने पर चयनित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आरएन तिलहरी ने जितेन्द्र कुमार सिंह और 7 अन्य लोगों की याचिका पर दिया है.

जांच के लिए नहीं पहुंचा एक याची
8 याचियों में से एक याची दोबारा जांच के लिए नहीं आया, जिस कारण उसकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी. बाकी 7 याचियों को अगले स्टेज में शामिल करने का निर्देश दिया गया है. याचिका पर अधिवक्ता आदर्श सिंह व अजीत कुमार सिंह ने बहस की थी.

पुलिस भर्ती 2018 की लिखित परीक्षा में पास हुए थे याची
बता दें कि याचीगण पुलिस भर्ती 2018 में लिखित परीक्षा में सफल हुए और शारीरिक मानक सत्यापन परीक्षा हुई, जिसमें उनकी लंबाई 168 सेंटीमीटर से कम होने के कारण अनफिट कर दिया गया. उन्होंने टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए दोबारा जांच की माग की, मगर भर्ती बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं लिया. इससे परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सीएमओ ने दोबारा की जांच
कोर्ट के आदेश पर सीएमओ, एक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की डाक्टर्स की टीम ने अपर पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में जांच की. सीएमओ की रिपोर्ट में कहा गया कि 7 याचियों की लंबाई 168 सेमी. या अधिक है. साथ ही बताया गया कि एक याची जांच के लिए हाजिर नहीं हआ. इस रिपोर्ट को बोर्ड ने अभी तक चुनौती भी नहीं दी है.

सरकार की तरफ से दी गई दलील
सरकार की तरफ से कहा गया कि बोर्ड द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड को जांच का अधिकार है. उसकी राय अंतिम है. हाईकोर्ट को दोबारा जांच का आदेश देने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और याचियों को चयन प्रक्रिया के अगले स्टेज की शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया है. यह प्रक्रिया 6 हफ्ते में पूरी करने का भी निर्देश दिया गया है.

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