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पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरूद्धि के खिलाफ याचिका खारिज

हाईकोर्ट ने रेणकूट नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरूद्धि के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. अनिल सिंह पर चुने गए अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह की कार्यालय में घुसकर हत्या का षडयंत्र रचने का आरोप है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jan 14, 2021, 10:16 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर पंचायत रेणुकूट के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरूद्धि को सही करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि चयनित नगर पंचायत अध्यक्ष की कार्यालय में घुसकर की गई हत्या से न केवल कानून व्यवस्था अपितु लोक शांति भंग हुई है. बाजार बंद हो गए. चारों तरफ अफरा तफरी फैल गई. हफ्तों तक बच्चे स्कूल नहीं गए. शहरी जीवन पंगु हो गया. सही मायने में लोक व्यवस्था अस्तव्यस्त हो गई थी.

याची पर अध्यक्ष की हत्या के षडयंत्र का आरोप है. वह 3 अक्टूबर 19 से जेल मे बंद है, जहां जिलाधिकारी सोनभद्र ने रासुका तामील की. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने अनिल सिंह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

'नमस्ते' करने के बाद की ताबड़तोड़ फायरिंग

मालूम हो कि नगर पंचायत अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह अपने कार्यालय में जन शिकायतें सुन रहे थे. तभी दो मोटर साइकिल सवार आए. नमस्ते की और ताबड़तोड़ फायर कर भाग गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, किन्तु बच न सके, मौत हो गई. घटना की एफआईआर पिपरी थाने में हत्या व षडयंत्र के आरोप में दर्ज कराई गई.

जमुना सिंह ने शूटरों को बुलाया

विवेचना के दौरान यह साक्ष्य आया कि जमुना सिंह ने शूटरों को बुलाया था. 7 सितम्बर से 9 सितम्बर 19 तक वे होटल में ठहरे थे. फिर 29 सितम्बर को दोबारा आए. एक गेस्ट हाउस में ठहरे. इस दौरान याची के भाई ब्रजेश सिंह जमुना सिंह के लगातार संपर्क में थे.

याची का है आपराधिक इतिहास

सीसीटीवी फुटेज में ब्रजेश व उनके ड्राइवर को देखा गया. याची का आपराधिक इतिहास है. चुने हुए अध्यक्ष की कार्यालय में हत्या से राज्य व्यवस्था को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस घटना को कानून व्यवस्था का मामला न मानते हुए कहा कि यह लोक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने वाली घटना है और हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर पंचायत रेणुकूट के पूर्व अध्यक्ष अनिल सिंह की रासुका निरूद्धि को सही करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि चयनित नगर पंचायत अध्यक्ष की कार्यालय में घुसकर की गई हत्या से न केवल कानून व्यवस्था अपितु लोक शांति भंग हुई है. बाजार बंद हो गए. चारों तरफ अफरा तफरी फैल गई. हफ्तों तक बच्चे स्कूल नहीं गए. शहरी जीवन पंगु हो गया. सही मायने में लोक व्यवस्था अस्तव्यस्त हो गई थी.

याची पर अध्यक्ष की हत्या के षडयंत्र का आरोप है. वह 3 अक्टूबर 19 से जेल मे बंद है, जहां जिलाधिकारी सोनभद्र ने रासुका तामील की. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने अनिल सिंह की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिया है.

'नमस्ते' करने के बाद की ताबड़तोड़ फायरिंग

मालूम हो कि नगर पंचायत अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह अपने कार्यालय में जन शिकायतें सुन रहे थे. तभी दो मोटर साइकिल सवार आए. नमस्ते की और ताबड़तोड़ फायर कर भाग गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, किन्तु बच न सके, मौत हो गई. घटना की एफआईआर पिपरी थाने में हत्या व षडयंत्र के आरोप में दर्ज कराई गई.

जमुना सिंह ने शूटरों को बुलाया

विवेचना के दौरान यह साक्ष्य आया कि जमुना सिंह ने शूटरों को बुलाया था. 7 सितम्बर से 9 सितम्बर 19 तक वे होटल में ठहरे थे. फिर 29 सितम्बर को दोबारा आए. एक गेस्ट हाउस में ठहरे. इस दौरान याची के भाई ब्रजेश सिंह जमुना सिंह के लगातार संपर्क में थे.

याची का है आपराधिक इतिहास

सीसीटीवी फुटेज में ब्रजेश व उनके ड्राइवर को देखा गया. याची का आपराधिक इतिहास है. चुने हुए अध्यक्ष की कार्यालय में हत्या से राज्य व्यवस्था को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस घटना को कानून व्यवस्था का मामला न मानते हुए कहा कि यह लोक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने वाली घटना है और हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है.

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