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सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी से वसूली का मामला, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील की खारिज - सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी से वसूली का मामला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी से वसूली गई 6 लाख 53 हजार 869 रुपये की तीन महीने में वापसी के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Feb 25, 2022, 10:39 PM IST

Updated : Feb 25, 2022, 10:51 PM IST

प्रयागराजः इलाबाद हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी से वसूली गई 6 लाख 53 हजार 869 रुपये की तीन महीने में वापसी के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है.

हाई कोर्ट ने आदेश को सही मानते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. एकलपीठ ने आजमगढ़ पीएसी से सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी जय प्रकाश सिंह के सेवानिवृत्ति परिलाभों से की गई कटौती राशि तीन महीने में वापस करने और पालन न करने पर छह फीसदी ब्याज देने का निर्देश दिया था. जिसे सरकार ने अपील कर चुनौती दी थी. अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कर ये आदेश दिया है. पुलिस की ओर से अधिवक्ता बी एन सिंह राठौर ने बहस की.

इसे भी पढ़ें- 11 क्विंटल गांजा के साथ 2 तस्कर गिरफ्तार, मक्के के बोरों में छिपाकर हो रही थी सप्लाई

राज्य सरकार का कहना था कि 1999 में याची प्रथम प्रोन्नति वेतनमान पाने का हकदार नहीं था. वो अधिक वेतन प्राप्त करता रहा. सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना के समय इसका खुलासा हुआ. जिस पर गलत ढंग से ली गई राशि की कटौती की गयी है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस के हवाले से कहा कि विभाग अपनी गलती का दोष कर्मचारी पर नहीं थोप सकता. गलत वेतन निर्धारण कर बाद में वसूली गलत है. खंडपीठ ने इसकी पुष्टि की है.

प्रयागराजः इलाबाद हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी से वसूली गई 6 लाख 53 हजार 869 रुपये की तीन महीने में वापसी के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज कर दी है.

हाई कोर्ट ने आदेश को सही मानते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. एकलपीठ ने आजमगढ़ पीएसी से सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी जय प्रकाश सिंह के सेवानिवृत्ति परिलाभों से की गई कटौती राशि तीन महीने में वापस करने और पालन न करने पर छह फीसदी ब्याज देने का निर्देश दिया था. जिसे सरकार ने अपील कर चुनौती दी थी. अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कर ये आदेश दिया है. पुलिस की ओर से अधिवक्ता बी एन सिंह राठौर ने बहस की.

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राज्य सरकार का कहना था कि 1999 में याची प्रथम प्रोन्नति वेतनमान पाने का हकदार नहीं था. वो अधिक वेतन प्राप्त करता रहा. सेवानिवृत्ति परिलाभों की गणना के समय इसका खुलासा हुआ. जिस पर गलत ढंग से ली गई राशि की कटौती की गयी है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस के हवाले से कहा कि विभाग अपनी गलती का दोष कर्मचारी पर नहीं थोप सकता. गलत वेतन निर्धारण कर बाद में वसूली गलत है. खंडपीठ ने इसकी पुष्टि की है.

Last Updated : Feb 25, 2022, 10:51 PM IST
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