प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन एएसपी ज्योति बेलूर की याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि सर्विस रिवॉल्वर से चली गोली मृतक के शरीर में पाई गई है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि याची निर्दोष है. कोर्ट ने याची के खिलाफ दायर याचिका, जोकि अब ब्रिटेन की नागरिक हैं, उस अभियोजन प्रक्रिया को रद्द करने की मांग अस्वीकार कर ली है और याचिका खारिज कर दी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खास बातें
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन एएसपी ज्योति बेलूर की याचिका खारिज कर दी.
- 1996 में फर्जी मुठभेड़ में चार लोगों की हत्या मामले में दायर याचिका की गई थी.
- गाजियाबाद, मोदीनगर की तत्कालीन एएसपी ज्योति बेलूर ने याचिका दायर की थी.
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सर्विस रिवॉल्वर से चली गोली मृतक के शरीर में पाई गई है.
- साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि याची निर्दोष है.
- यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने एएसपी रही ज्योति बेलूर की याचिका पर दिया है.
- याचिका पर अधिवक्ता अपूर्व हजेला, CBI के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकास, संजय ने बहस की.
बता दें कि 1996 में गाजियाबाद में चार लोगों की हुई फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कर थाना प्रभारी समेत पांच पुलिस अधिकारियों पर फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष लोगों की हत्या का आरोप लगाया है. इसके बाद याची ने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत की नागरिकता भी छोड़ दी और ब्रिटेन की नागरिकता ले ली.
गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने याची को तलब किया, जिस पर याचिका दाखिल कर आपराधिक मुकदमें को रद्द करने की मांग की. याची का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के अंतर्गत उसके खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए सरकार से अनुमति नहीं ली गई है, इसलिए उसके खिलाफ चल रहा आपराधिक मुकदमा रद्द किया जाए. कोर्ट ने याची के तर्क को नहीं माना और कहा कि याची की सर्विस रिवॉल्वर से जसबीर सिंह ने फायर किया था.