प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शिक्षिका के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के आदेश को चुनौती देने वाली बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Council) की विशेष अपील खारिज कर दी है. परिषद की ओर से एकल न्याय पीठ द्वारा दिए गए आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी. अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल (Chief Justice Rajesh Bindal) और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ ने कहा कि याचिका काफी विलंब से (लगभग 1 वर्ष बाद) से दाखिल की गई. इसके साथ ही एकल न्याय पीठ के फैसले में ऐसा कुछ नहीं है. जिससे कि इस मामले में हस्तक्षेप का आधार बनता है.
बता दें कि सिद्धार्थनगर जिले में कार्यरत सहायक अध्यापिका पूनम ने सिद्धार्थ नगर से अयोध्या अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था. उनका कहना था कि उसकी पुत्री का जन्म से ही ह्रदय की गंभीर बीमारी से पीड़ित है. उसका ऑपरेशन भी हुआ है. उसके पति अयोध्या में रहते हैं. इसलिए उसका भी स्थानांतरण वहां किया जाए. जिसपर बेसिक शिक्षा परिषद ने उनके आवेदन को निरस्त कर दिया था.
याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि 2 दिसंबर 2019 को जारी शासनादेश के अनुसार याची अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की हकदार है. क्योंकि इसके मुताबिक यदि किसी शिक्षिका का बच्चा गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो वह अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए उपयुक्त आधार है. दिव्या गोस्वामी केस में व अन्य कई मामलों में हाईकोर्ट ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के आवेदन पर इन आधारों पर निर्णय लेने का आदेश भी पूर्व में दिया जा चुका है.
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याची के मामले में बेसिक शिक्षा परिषद ने उसका आवेदन निरस्त करते समय कोई कारण नहीं बताया था. याची आकांक्षी जिले में नियुक्त है. आकांक्षी जिले वह जिले होते हैं, जो कि पिछड़े जिले हैं. जहां पर शिक्षकों के स्थानांतरण पर रोक है. एकल पीठ ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का आवेदन रद्द करने के आदेश को निरस्त करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद को नए सिरे से आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था. जिसके खिलाफ परिषद नहीं अब विशेष अपील दाखिल की थी.
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