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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना किसानों के बकाये ब्याज के भुगतान का दिया निर्देश - ब्याज के भुगतान का निर्देश

गन्ना किसानों के बकाये ब्याज के भुगतान का हाईकोर्ट ने निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि भुगतान करें या फिर हाजिर हों गन्ना आयुक्त.

गन्ना किसानों के बकाये ब्याज के भुगतान का निर्देश
गन्ना किसानों के बकाये ब्याज के भुगतान का निर्देश
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Published : Dec 9, 2021, 10:58 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना किसानों के बकाये ब्याज का भुगतान नहीं करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने राज्य सरकार और गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि 17 जनवरी तक बकाया ब्याज का भुगतान कर दिया जाए. इसके साथ ही गन्ना आयुक्त न्यायालय के सामने हाजिर हों.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के ढाई साल बाद भी किसानों के बकाया ब्याज का भुगतान नहीं किया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह जानबूझकर की जा रही अवमानना का मामला है.

इसे भी पढ़ें- Murder in Mirzapur: प्रेमिका ने साथ रहने की जिद्द की तो युवक ने उतार दिया मौत के घाट

वीएम सिंह का कहना था कि राज्य सरकार किसानों का पैसा दबाकर बैठी है. वह भुगतान नहीं करना चाह रही है. जबकि खुद सरकार ने तय कर दिया है कि लाभ वाली चीनी मिलों को 12 प्रतिशत और घाटे वाली चीनी मिलों को सात प्रतिशत ब्याज देना है. इसके बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना किसानों के बकाये ब्याज का भुगतान नहीं करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने राज्य सरकार और गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि 17 जनवरी तक बकाया ब्याज का भुगतान कर दिया जाए. इसके साथ ही गन्ना आयुक्त न्यायालय के सामने हाजिर हों.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के ढाई साल बाद भी किसानों के बकाया ब्याज का भुगतान नहीं किया गया है. इससे स्पष्ट है कि यह जानबूझकर की जा रही अवमानना का मामला है.

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वीएम सिंह का कहना था कि राज्य सरकार किसानों का पैसा दबाकर बैठी है. वह भुगतान नहीं करना चाह रही है. जबकि खुद सरकार ने तय कर दिया है कि लाभ वाली चीनी मिलों को 12 प्रतिशत और घाटे वाली चीनी मिलों को सात प्रतिशत ब्याज देना है. इसके बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है.

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