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किसी एक शख्स के कहने पर नहीं रोका जा सकता राजमार्ग का निर्माण : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि राजमार्ग निर्माण को किसी एक शख्स के कहने पर नहीं रोका जा सकता है. याचिका में कहा गया था कि शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ राजमार्ग के विस्तार और चौड़ीकरण के लिए जो भूमि अधिग्रहीत की जा रही है, उस पर रोक लगाई जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 13, 2022, 8:35 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि राजमार्ग निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि कौन सी होगी, यह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तय कर सकता है. वह इसके लिए सक्षम है. किसी एक शख्स के कहने पर राजमार्ग के निर्माण को नहीं रोका जा सकता. भले ही वह यह कहे कि राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए उसकी भूमि जरूरी नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की खंडपीठ ने श्याम सिंह व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिका में कहा गया था कि शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ राजमार्ग के विस्तार और चौड़ीकरण के लिए जो भूमि अधिग्रहीत की जा रहीं हैं, उस पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इस अधिग्रहण से याची की जमीन, मकान व दुकान राजमार्ग के दायरे में आ जाएंगे.

यह भी पढ़ें: सुलतानपुर में रेप के आरोपी को 20 साल की सजा, दलित किशोरी से घर में घुसकर किया था दुष्कर्म

कहा गया कि याची की भूमि व अन्य चीजें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के महत्व की नहीं हैं. दूसरी तरफ प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि 2020 में अधिग्रहण कार्रवाई पूरी कर अवार्ड घोषित कर दिया गया. उस समय चुनौती नहीं दी गई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि राजमार्ग निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि कौन सी होगी, यह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तय कर सकता है. वह इसके लिए सक्षम है. किसी एक शख्स के कहने पर राजमार्ग के निर्माण को नहीं रोका जा सकता. भले ही वह यह कहे कि राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए उसकी भूमि जरूरी नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की खंडपीठ ने श्याम सिंह व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिका में कहा गया था कि शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ राजमार्ग के विस्तार और चौड़ीकरण के लिए जो भूमि अधिग्रहीत की जा रहीं हैं, उस पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इस अधिग्रहण से याची की जमीन, मकान व दुकान राजमार्ग के दायरे में आ जाएंगे.

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कहा गया कि याची की भूमि व अन्य चीजें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के महत्व की नहीं हैं. दूसरी तरफ प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि 2020 में अधिग्रहण कार्रवाई पूरी कर अवार्ड घोषित कर दिया गया. उस समय चुनौती नहीं दी गई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी।

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