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15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहींः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High count) ने एक जमानत याचिका सुनवाई करते हुए कहा कि 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 5, 2021, 9:49 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High count) ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 315 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मो. असलम ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी की जमानत मंजूर कर ली है.

इसे भी पढ़ें-आर्थिक अपराध के आरोपी को जमानत देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट का इनकार

याची के खिलाफ उसकी पत्नी ने 8 सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था. याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इंकार किया गया है. आईपीसी की धारा 375 में 2013 में किए गए संशोधन के बाद पंद्रह वर्ष की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं. संशोधित धारा की व्याख्या संख्या 2 में यदि पत्नी पंद्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का ‌आदेश दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High count) ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 315 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मो. असलम ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी की जमानत मंजूर कर ली है.

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याची के खिलाफ उसकी पत्नी ने 8 सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था. याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने आप्रकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इंकार किया गया है. आईपीसी की धारा 375 में 2013 में किए गए संशोधन के बाद पंद्रह वर्ष की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं. संशोधित धारा की व्याख्या संख्या 2 में यदि पत्नी पंद्रह वर्ष से कम आयु की नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का ‌आदेश दिया है.

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