प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही पर रोक लगा दी है. साथ ही कहा है कि इस अदालत के अगले आदेश तक आरोपी के खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही पर अंतिम निर्णय न किया जाए. इंस्पेक्टर तिलकधारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज है. जिसकी कार्रवाई चल रही है. इसके साथ ही विभाग ने अपनी अलग से कार्रवाई भी शुरू कर चार्ज शीट दे दी गई है.
याची इंस्पेक्टर का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि इंस्पेक्टर पर लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत है. मात्र इस आरोप के अलावा याची के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है. अधिवक्ता का कहना था कि यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि पीड़िता ने अपनी मां और मौसी के खिलाफ भी शिकायत की थी. विभागीय कार्रवाई से याची के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे की कार्रवाई प्रभावित होगी. साथ ही पुलिस रेगुलेशन के अनुसार आपराधिक मुकदमे का विचारण पूरा होने से पहले विभागीय कार्रवाई को उसके कार्तिक तार्किक पढ़ने तक पहुंचाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याची पर थाने के भीतर अपने कमरे में पीड़िता से दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप है. कोर्ट का कहना था कि पीड़िता ने स्वयं अपनी मां और मौसी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. विभागीय आरोप पत्र में वही आरोप लगाए गए हैं जो प्राथमिक की में है. अदालत में अगले आदेश तक विभागीय जांच में अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी है. इससे पूर्व इंस्पेक्टर तिलकधारी की इस मामले में जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो चुकी है.
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याची इंस्पेक्टर के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि वास्तविकता यह है कि पीड़िता की मां लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे कराने की आदी है. वह लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर ब्लैकमेल करती है और उनसे पैसे वसूलते है. अधिवक्ता ने पीड़िता की मां द्वारा दर्ज कराए गए 8 मुकदमों के रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष पेश किए. अदालत को यह भी बताया कि खुद उसके खिलाफ भी चार मुकदमे दर्ज हैं. पीड़िता ने स्वयं कहा है कि उसकी मां फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर लोगों को ब्लैकमेल करती है.
मामले के अनुसार पीड़िता की मां ने 22 अप्रैल 2022 को पीलीभीत के पाली थाने में चंदन, राजभान, हरिशंकर, महेंद्र चौरसिया और गुलाब बाई अहिरवार के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि यह लोग उसकी बेटी को भगा करके ले गए और बाद में उसे थाने में में छोड़ करके भाग गए. पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी गुलाब बाई अहिरवार के हवाले कर दिया. आरोप है कि 27 अप्रैल 22 को पीड़िता को बयान के लिए थाने में बुलाया गया. बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने पीड़िता को उसकी मौसी के हवाले कर दिया. मौसी ने पीड़िता को इंस्पेक्टर के हवाले कर दिया, जिसने उससे दुष्कर्म किया और बाद में चाइल्ड लाइन भेज दिया.