प्रयागराज: गौतमबुद्ध नगर के अपर सिविल जज पर इलाहाबाद हाईकोर्ट खफा हो गया है. उप्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम की याचिका पर भसीन इंफोटेक एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से जुड़े मामले में अपर सिविल जज के आदेश पारित करने को लेकर हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगते हुए तीखी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश से कहा है कि मुकद्दमा दूसरे जज को स्थानांतरित करें.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डाॅ. कौशल जयेंद्र ठाकुर तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने उप्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम की याचिका पर आदेश दिया है. भसीन इंफोटेक एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से जुड़े मामले पर खंडपीठ ने गौतमबुद्ध नगर के अपर सिविल जज से स्पष्टीकरण मांगा है कि जो आदेश उन्हें नहीं देना चाहिए, वैसा आदेश देने के लिए क्यों न मुख्य न्यायाधीश से उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाए.
खंडपीठ ने अपर सिविल जज को स्पष्टीकरण देने के लिए 30 मई तक का समय दिया है. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश से कहा है कि मुकद्दमा दूसरे जज को स्थानांतरित करें. साथ ही कहा है कि भसीन इंफोटेक एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी सहित विपक्षी बड़े अधिकारियों पर कोर्ट को दिग्भ्रमित करने के लिए क्यों न कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने उन्हें हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा विपक्षी सुप्रीमकोर्ट भी गया और अंतरिम आदेश के बावजूद हाईकोर्ट आने के बजाय ट्रायल कोर्ट से ऐसा आदेश दे दिया जिसे उसे देना नहीं चाहिए था.
कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि हाईकोर्ट में केस विचाराधीन है, अंतरिम आदेश भी है. हाईकोर्ट आने के बजाय आदेश लेने के लिए अधीनस्थ अदालत में जा रहे हैं. कोर्ट ने महानिबंधक को संबंधित जज से स्पष्टीकरण मंगाने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ डिफेक्टिव अपील के बावजूद कोर्ट धारा 24सीपीसी के तहत (सूओ मोटो) स्वत: प्रेरित आदेश जारी किया है. कोर्ट ने अपीलार्थी को फार्मल आदेश महानिबंधक कार्यालय में जमा करने तथा अपील को नियमित नंबर आवंटित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा इस आदेश को जिला न्यायाधीश गौतमबुद्धनगर को संबंधित जज से सफाई लेने के लिए भेजा जाए.
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