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मुकद्दमों की लिस्टिंग व्यवस्था में फेल हाईकोर्ट प्रशासन के हाथपांव फूले, बैठक में नहीं निकला हल

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Published : May 14, 2022, 11:57 AM IST

कोरोना महामारी का देश में प्रभाव काफी कम हो चुका है, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की समस्याएं हल नहीं हो पा रही हैं. मुकद्दमों की लिस्टिंग व्यवस्था की खामियों की वजह से मुकदमा कब सुना जाएगा इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. इन समस्याओं को लेकर बार एसोसिएशन और हाईकोर्ट बेंच के बीच बैठक हुई.

हाईकोर्ट में मुकद्दमों की लिस्टिंग का मामला
हाईकोर्ट में मुकद्दमों की लिस्टिंग का मामला

प्रयागराज: कोरोना की महामारी से देश काफी हद तक उबर चुका है. वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट उसके साये से मुक्त नहीं हो पाया है. समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. बार एसोसिएशन और हाईकोर्ट बेंच के बीच शुक्रवार को हुई बैठक में गहन चर्चा हुई, लेकिन समस्या के समाधान के लिए कदम नहीं उठे. व्यवस्थाएं कई प्रकार की जटिल समस्याओं में उलझती जा रही हैं.

विगत वर्ष महामारी के कारण वैसे भी न्याय व्यवस्था जैसे-तैसे वर्चुअल व फिजिकल मोड में चलाई गई. 2021 की समाप्ति के उपरांत अधिवक्ता बड़ी उम्मीद के साथ परिसर में आए, लेकिन मुकद्दमों की लिस्टिंग व्यवस्था की खामियों की वजह से मुकदमा कब सुना जाएगा इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. उम्मीद थी कि हम सभी पहले से और भी बेहतर तरीके से तत्परता से कार्य करेंगे, लेकिन लगातार मायूसी ही हाथ लग रही है. वर्तमान परिदृश्य में वकालत अपने कठिन, चुनौतीपूर्ण और प्रायोगिक दौर से गुजर रही है.

यह भी पढ़ें: बाहर हुए समझौते से कोर्ट का आदेश नहीं होता खत्म- HC

2 मई से लिस्टिंग की पूरी व्यवस्था एनआईसी के हाथ में चली गई है. एनआईसी का सॉफ्टवेयर मुख्यत: तीन जगह से मुकदमे उठाकर लिस्ट बना रहा है. पहला पीठ सचिव, दूसरा अनुभाग कर्मचारी और तीसरा पुराने मुकदमे से लिस्ट बना रहा है. सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी होने, पीठ सचिव, अनुभाग अधिकारियों और एनआईसी के बीच तालमेल न बैठ पाने के कारण सुधार नहीं हो रहा है. समस्याएं विकराल रूप धारण करतीं जा रही हैं.

ये हैं समस्याएं

  • रिपोर्टिंग सेक्शन में बेवजह देर किया जाना.
  • कुछ केस एक नंबर के ही एक ही दिन में दो-दो न्यायालयों में लग जाना.
  • कुछ 12 मई को लगे केस 13 मई को लगने लगे.
  • निस्तारित केस फिर लग जाना.
  • फ्रेश केस जो पास ओवर हो गया, फिर लिस्ट में कब आएगा निश्चित नहीं होना.
  • सिस्टम से पुराने केसों को क्रमवार नहीं लगाना.
  • कोर्ट के आदेश पर केस का न लग पाना.

पूरा सिस्टम चरमराकर गया है. इसके पीछे पूरा अमला लगा हुआ है. मुख्य न्यायाधीश के आश्वासन बार को दिलासा ही दे पा रहे हैं. समस्याओं का हल नजर नहीं आ रहा है. बार एसोसिएशन की एक दिन की हड़ताल पर भी अमला सुधार कर पाने की स्थिति में नहीं है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की 13 मई को बैठक हुई. इसमें पिछले दिनों न्यायाधीशों की प्रशासनिक समिति के साथ हुई बैठक में मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के आश्वासन और अधिवक्ताओं में बढ़ते आक्रोश पर चर्चा की गई. प्रशासन को समय दिया गया. अब 18 मई को कार्यकारिणी की तीसरी बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.

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प्रयागराज: कोरोना की महामारी से देश काफी हद तक उबर चुका है. वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट उसके साये से मुक्त नहीं हो पाया है. समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. बार एसोसिएशन और हाईकोर्ट बेंच के बीच शुक्रवार को हुई बैठक में गहन चर्चा हुई, लेकिन समस्या के समाधान के लिए कदम नहीं उठे. व्यवस्थाएं कई प्रकार की जटिल समस्याओं में उलझती जा रही हैं.

विगत वर्ष महामारी के कारण वैसे भी न्याय व्यवस्था जैसे-तैसे वर्चुअल व फिजिकल मोड में चलाई गई. 2021 की समाप्ति के उपरांत अधिवक्ता बड़ी उम्मीद के साथ परिसर में आए, लेकिन मुकद्दमों की लिस्टिंग व्यवस्था की खामियों की वजह से मुकदमा कब सुना जाएगा इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. उम्मीद थी कि हम सभी पहले से और भी बेहतर तरीके से तत्परता से कार्य करेंगे, लेकिन लगातार मायूसी ही हाथ लग रही है. वर्तमान परिदृश्य में वकालत अपने कठिन, चुनौतीपूर्ण और प्रायोगिक दौर से गुजर रही है.

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2 मई से लिस्टिंग की पूरी व्यवस्था एनआईसी के हाथ में चली गई है. एनआईसी का सॉफ्टवेयर मुख्यत: तीन जगह से मुकदमे उठाकर लिस्ट बना रहा है. पहला पीठ सचिव, दूसरा अनुभाग कर्मचारी और तीसरा पुराने मुकदमे से लिस्ट बना रहा है. सॉफ्टवेयर की तकनीकी खराबी होने, पीठ सचिव, अनुभाग अधिकारियों और एनआईसी के बीच तालमेल न बैठ पाने के कारण सुधार नहीं हो रहा है. समस्याएं विकराल रूप धारण करतीं जा रही हैं.

ये हैं समस्याएं

  • रिपोर्टिंग सेक्शन में बेवजह देर किया जाना.
  • कुछ केस एक नंबर के ही एक ही दिन में दो-दो न्यायालयों में लग जाना.
  • कुछ 12 मई को लगे केस 13 मई को लगने लगे.
  • निस्तारित केस फिर लग जाना.
  • फ्रेश केस जो पास ओवर हो गया, फिर लिस्ट में कब आएगा निश्चित नहीं होना.
  • सिस्टम से पुराने केसों को क्रमवार नहीं लगाना.
  • कोर्ट के आदेश पर केस का न लग पाना.

पूरा सिस्टम चरमराकर गया है. इसके पीछे पूरा अमला लगा हुआ है. मुख्य न्यायाधीश के आश्वासन बार को दिलासा ही दे पा रहे हैं. समस्याओं का हल नजर नहीं आ रहा है. बार एसोसिएशन की एक दिन की हड़ताल पर भी अमला सुधार कर पाने की स्थिति में नहीं है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की 13 मई को बैठक हुई. इसमें पिछले दिनों न्यायाधीशों की प्रशासनिक समिति के साथ हुई बैठक में मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के आश्वासन और अधिवक्ताओं में बढ़ते आक्रोश पर चर्चा की गई. प्रशासन को समय दिया गया. अब 18 मई को कार्यकारिणी की तीसरी बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.

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