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अध्यापकों के तबादले का मामलाः HC ने मांगा राज्य सरकार से जवाब, 10 जून को सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन आवेदन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती भरने में गलती करने वाले अध्यापकों का दबादला ग्रामीण क्षेत्र में करने के आदेश के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

HC ने मांगा राज्य सरकार से जवाब
HC ने मांगा राज्य सरकार से जवाब
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Published : May 22, 2021, 8:13 AM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. ऑनलाइन आवेदन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती भरने में गलती करने वाले अध्यापकों का दबादला ग्रामीण क्षेत्र में करने के आदेश के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने जवाब मांगा है. ये आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने रीना उपाध्याय और दूसरे की याचिका पर दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 10 जून को होगी.

ये है पूरा मामला

याची का कहना है कि दिसंबर 2019 में अंतरजनपदीय तबादले के लिए शासनादेश जारी किया गया. याची ने संतकबीर नगर और महराजगंज के जिलों से आवेदन किया था. ऑनलाइन आवेदन में उन्होंने भूलवश अपनी नियुक्ति शहरी क्षेत्र में दिखा दी. जबकि वे ग्रामीण इलाके में नियुक्त थे. उनको एचआरए शहरी इलाके के बराबर मिल रहा था. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी आवेदन प्रमाणित कर दिया. इसके बाद याचीगण का स्थानांतरण गोरखपुर कर दिया गया. जहां उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया. 11 फरवरी 2021 को एक शासनादेश जारी किया गया कि जिन अध्यापकों ने गलती से अपने आवेदन में ग्रामीण की जगह शहरी का दिया है. उनको स्थानांतरण शहरी क्षेत्र से रद्द कर ग्रामीण इलाके में कर दिया जाए. संबंधित बीएसए इस बात की पुष्टि करें कि अध्यापक की नियुक्ति कहां थी. बीएसए ने याचीगण का स्थानांतरण रद्द कर उनके मूल जनपदों में वापस भेज दिया.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी का दावा-यूपी में 31 मई तक कोविड की दूसरी लहर पर पा लेंगे काबू

याचीगण का कहना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र गलत भरने से उनके स्थानांतरण भारांक में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. इसलिए बीएसए को स्थानांतरण रद्द करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में दस जून तक सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगा है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. ऑनलाइन आवेदन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती भरने में गलती करने वाले अध्यापकों का दबादला ग्रामीण क्षेत्र में करने के आदेश के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने जवाब मांगा है. ये आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने रीना उपाध्याय और दूसरे की याचिका पर दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 10 जून को होगी.

ये है पूरा मामला

याची का कहना है कि दिसंबर 2019 में अंतरजनपदीय तबादले के लिए शासनादेश जारी किया गया. याची ने संतकबीर नगर और महराजगंज के जिलों से आवेदन किया था. ऑनलाइन आवेदन में उन्होंने भूलवश अपनी नियुक्ति शहरी क्षेत्र में दिखा दी. जबकि वे ग्रामीण इलाके में नियुक्त थे. उनको एचआरए शहरी इलाके के बराबर मिल रहा था. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी आवेदन प्रमाणित कर दिया. इसके बाद याचीगण का स्थानांतरण गोरखपुर कर दिया गया. जहां उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया. 11 फरवरी 2021 को एक शासनादेश जारी किया गया कि जिन अध्यापकों ने गलती से अपने आवेदन में ग्रामीण की जगह शहरी का दिया है. उनको स्थानांतरण शहरी क्षेत्र से रद्द कर ग्रामीण इलाके में कर दिया जाए. संबंधित बीएसए इस बात की पुष्टि करें कि अध्यापक की नियुक्ति कहां थी. बीएसए ने याचीगण का स्थानांतरण रद्द कर उनके मूल जनपदों में वापस भेज दिया.

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याचीगण का कहना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र गलत भरने से उनके स्थानांतरण भारांक में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. इसलिए बीएसए को स्थानांतरण रद्द करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में दस जून तक सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगा है.

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