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हत्या के आरोपियों को उम्र कैद की सजा रद्द, तत्काल रिहा करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति के लिए भाभी की हत्या करने के आरोप में अपर जिला सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट बरेली द्वारा दो आरोपियों को सुनाई गई उम्र कैद की सजा रद्द कर दी है. उम्र कैद की सजा भुगत रहे आरोपियों को 23 साल बाद न्याय मिला है.

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Published : Jul 29, 2022, 9:59 PM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति के लिए भाभी की हत्या करने के आरोप में अपर जिला सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट बरेली द्वारा दो आरोपियों को सुनाई गई उम्र कैद की सजा रद्द कर दी है. उम्र कैद की सजा भुगत रहे आरोपियों को 23 साल बाद न्याय मिला है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में नाकाम रहा. आधी रात हत्या के समय चश्मदीद गहरी नींद में सो रहे थे. अभियोजन पक्ष ने लालटेन का जिक्र किया किंतु बरामद नहीं कर सके. घटनास्थल पर प्रकाश था. पुलिस साबित नहीं कर सकी.

कोर्ट ने तुलाराम और नौबत राम को मिली उम्र कैद की सजा रद्द कर दी. जेल में बंद नौबत राम को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. तुलाराम जमानत पर थे. उनकी जमानत का बंधपत्र निरस्त कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र (Justice Anjani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा (Justice Deepak Verma) की खंडपीठ ने बरेली के करौरा गांव के नौबत और अन्य की सजा के खिलाफ अपील मंजूर करते हुए दिया है.

इसे भी पढ़ेंः घटना से दो साल पहले मर चुके चश्मदीद गवाह की तलाश में पुलिस, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

अपील पर अधिवक्ता सुरेश सिंह और ऋतेश सिंह ने बहस की. मालूम हो कि जून 1999 की 21-22 की रात घर में सो रही सुक्खी देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मृतका के भाई ने मीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई जिसमें अपने बहनोई के भाइयों पर 24 बीघा जमीन की लालच में हत्या करने का आरोप लगाया. बहनोई की पहले ही मौत हो चुकी थी.

शिकायतकर्ता अपनी विधवा बहन की सुरक्षा में साथ रह रहा था. साथ ही भतीजे कालीचरण और गुड्डू भी थे. कालीचरण पर हत्यारों द्वारा हमला करने के कारण चोट लगने से बेसुध होने की बात की गई. किंतु डॉक्टर ने कहा सिर पर चोटी नहीं थी. जहां चोट थी, कोई बेहोश नहीं हो सकता. कोर्ट ने चश्मदीद के बयान को विश्वसनीय नहीं माना. यह भी तथ्य है कि आरोपी पहले से जमीन पर कब्जे में है, तो उन्हें अपनी भाभी की हत्या करने की जरूरत नहीं थी. अंधेरा था, अपराधियों की पहचान नहीं हो सकी और चश्मदीद घटना के समय गहरी नींद में सो रहे थे. कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया और उम्र कैद की सजा रद्द कर दी है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति के लिए भाभी की हत्या करने के आरोप में अपर जिला सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट बरेली द्वारा दो आरोपियों को सुनाई गई उम्र कैद की सजा रद्द कर दी है. उम्र कैद की सजा भुगत रहे आरोपियों को 23 साल बाद न्याय मिला है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन संदेह से परे अपराध साबित करने में नाकाम रहा. आधी रात हत्या के समय चश्मदीद गहरी नींद में सो रहे थे. अभियोजन पक्ष ने लालटेन का जिक्र किया किंतु बरामद नहीं कर सके. घटनास्थल पर प्रकाश था. पुलिस साबित नहीं कर सकी.

कोर्ट ने तुलाराम और नौबत राम को मिली उम्र कैद की सजा रद्द कर दी. जेल में बंद नौबत राम को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है. तुलाराम जमानत पर थे. उनकी जमानत का बंधपत्र निरस्त कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र (Justice Anjani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा (Justice Deepak Verma) की खंडपीठ ने बरेली के करौरा गांव के नौबत और अन्य की सजा के खिलाफ अपील मंजूर करते हुए दिया है.

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अपील पर अधिवक्ता सुरेश सिंह और ऋतेश सिंह ने बहस की. मालूम हो कि जून 1999 की 21-22 की रात घर में सो रही सुक्खी देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मृतका के भाई ने मीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई जिसमें अपने बहनोई के भाइयों पर 24 बीघा जमीन की लालच में हत्या करने का आरोप लगाया. बहनोई की पहले ही मौत हो चुकी थी.

शिकायतकर्ता अपनी विधवा बहन की सुरक्षा में साथ रह रहा था. साथ ही भतीजे कालीचरण और गुड्डू भी थे. कालीचरण पर हत्यारों द्वारा हमला करने के कारण चोट लगने से बेसुध होने की बात की गई. किंतु डॉक्टर ने कहा सिर पर चोटी नहीं थी. जहां चोट थी, कोई बेहोश नहीं हो सकता. कोर्ट ने चश्मदीद के बयान को विश्वसनीय नहीं माना. यह भी तथ्य है कि आरोपी पहले से जमीन पर कब्जे में है, तो उन्हें अपनी भाभी की हत्या करने की जरूरत नहीं थी. अंधेरा था, अपराधियों की पहचान नहीं हो सकी और चश्मदीद घटना के समय गहरी नींद में सो रहे थे. कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया और उम्र कैद की सजा रद्द कर दी है.

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