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भू-समाधी की जमीन के लिए अखाड़ा परिषद ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार - उत्तराखंड सरकार

सदियों से चली आ रही परंपरा भी 21वीं सदी में आते-आते बदलने लगी है. अखाड़ा परिषद ने निर्णय लिया है कि ब्रह्मलीन संतों को अब गंगा में जल समाधि नहीं दी जाएगी. साथ ही परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने भू-समाधि की जमीन के लिए उत्तराखंड सरकार का आभार भी जताया है.

अखाड़ा परिषद ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार.
अखाड़ा परिषद ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार.
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Published : Jan 23, 2021, 9:29 AM IST

प्रयागराज : ब्रह्मलीन संतों के लिए भूमि मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार का आभार व्यक्त किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने संतों को ब्रह्मलीन होने पर भू-समाधि के लिए 5 एकड़ भूमि दी है. उत्तराखंड सरकार का हम सभी संत स्वागत करते हैं.

अखाड़ा परिषद ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार.

महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि संतों के ब्रह्मलीन होने पर जल या भू-समाधि की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. लेकिन गंगा जी में जल का अभाव है, जिस वजह से इस समय जल समाधि प्रासंगिक नही है. महंत नरेंद्र गिरी ने संतों से अनुरोध किया है कि वो जल समाधि की जगह ब्रह्मलीन होने पर संतों को भू-समाधि दें. महंत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली भूमि का रख रखाव अखाड़ा परिषद खुद करेगा. उत्तराखंड सरकार के इस कदम में भारतीय संस्कृति में संत परंपरा बनाए रखने में विशेष बल मिलेगा.

प्रयागराज : ब्रह्मलीन संतों के लिए भूमि मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार का आभार व्यक्त किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने संतों को ब्रह्मलीन होने पर भू-समाधि के लिए 5 एकड़ भूमि दी है. उत्तराखंड सरकार का हम सभी संत स्वागत करते हैं.

अखाड़ा परिषद ने जताया उत्तराखंड सरकार का आभार.

महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि संतों के ब्रह्मलीन होने पर जल या भू-समाधि की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. लेकिन गंगा जी में जल का अभाव है, जिस वजह से इस समय जल समाधि प्रासंगिक नही है. महंत नरेंद्र गिरी ने संतों से अनुरोध किया है कि वो जल समाधि की जगह ब्रह्मलीन होने पर संतों को भू-समाधि दें. महंत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली भूमि का रख रखाव अखाड़ा परिषद खुद करेगा. उत्तराखंड सरकार के इस कदम में भारतीय संस्कृति में संत परंपरा बनाए रखने में विशेष बल मिलेगा.

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