प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुझाव देते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि गाय को सिर्फ धार्मिक नजरिये से नहीं देखना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि संस्कृति की रक्षा हर नागरिक को करनी चाहिए. कोर्ट ने सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुझाव के बाद हर तरफ से प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. इसी क्रम में साधु-संत और अखाड़ा परिषद ने कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत किया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु नहीं राष्ट्रीय गो माता घोषित करें तो यह हिंदू समाज के लिए और अच्छा कदम होगा.
संगम नगरी प्रयागराज के साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का संत महात्मा, सनातन धर्म को मानने वाले और गो माता का सम्मान करने वाले सभी लोग स्वागत करते हैं. उनके लिए ये अब तक का सबसे बड़ा और स्वागत योग्य फैसला है. नरेंद्र गिरी ने कहा कि यह बात संत महात्मा तो बहुत पहले से कर रहे थे कि हमारी गो माता को राष्ट्र गो माता घोषित किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि गाय पशु नहीं बल्कि सनातन धर्म को मानने वालों की माता हैं. इसलिए सनातन धर्म के मानने वाले गो माता का पूजन-अर्चन करें और गो सेवा भी करें.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने भी कहा कि आज गो माता की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हम और आप हैं, दूसरे धर्म के लोग नहीं. जब तक गाय दूध देती तब तक उसकी सेवा करते हैं और दूध देना बंद करने के बाद हम उसको छोड़ देते हैं. जो लोग यह काम कर रहे हैं, उनको वास्तव में भगवान दंड जरूर देगा.
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नरेंद्र गिरी ने बताया कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने गोमाता को बेहतर सेवा देने के लिए कई गांव में गोशाला खोली है लेकिन, अभी इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद केंद्र सरकार से मांग करती है कि संसद में बिल लाकर, कानून बनाकर इसको पारित करें. गाय राष्ट्र गो माता घोषित हो जाएगी तो पूरे देश में उनका सम्मान और बढ़ जाएगा.