प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेकिंग में वाहनों का चालान कर कोर्ट में भेजने पर देरी को गम्भीरता से लिया है और प्रदेश के डीजीपी से हलफनामा मांगा है कि चालान कोर्ट भेजने के लिए कितना समय चाहिए. कोर्ट ने डीजीपी को यह भी निर्देश दिया है कि प्रदेश की पुलिस को सर्कुलर जारी कर वाहनों के चालान तीन दिन में कोर्ट भेजे. यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खण्डपीठ ने प्रयागराज के आलोक कुमार यादव की याचिका पर दिया है.
ये है पूरा मामला
26 अप्रैल 2019 को याची दोपहिया वाहन से जा रहा था. जार्ज टाउन थाने के दरोगा कृष्ण कुमार सरोज ने चेकिंग के दौरान वाहन का चालान काटा और ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया. चालान कोर्ट नहीं भेजा गया, जिससे याची जब्त लाइसेंस नहीं छुड़ा सका. उसने अधिकारियों से चालान कोर्ट भेजने की मांग की,तो अधिकारियों ने याची के नाम एक फर्जी पत्र लिखवाया जिसमें 29 जुलाई 19 को याची से ड्राइविंग लाइसेंस खोने की बात लिखी गई, जबकि लाइसेंस पुलिस ने जब्त कर लिया था. सरकारी वकील इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया.
लाइसेंस खो जाने के कारण चालान नहीं भेजा सका कोर्ट
अगली सुनवाई के दिन एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी ट्रैफिक कुलदीप सिंह और दरोगा केके सरोज कोर्ट में हाजिर हुए और गलती मानी कि लाइसेंस खो जाने के कारण याची के वाहन का चालान नहीं भेजा जा सका. अधिकारियों ने माना ऐसे बहुत से चालान भेजने में काफी देर होती है. पुलिस ने बेहतर जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.
2 साल में 57 से 75 लाख मुकदमे लंबित
कोर्ट ने कहा कि वाहनों के चालान भेजने में देरी के चलते पिछले 2 साल में 57 से 75 लाख मुकदमे लंबित है. पुलिस अचानक भारी संख्या में चालान कोर्ट भेज देती है. कोर्ट स्टॉफ को उन्हे पंजीकृत कर मुकदमा संख्या देने में भारी दिक्कत उठानी पड़ती है. कोर्ट ने डीजीपी को प्रदेश भर से पुलिस से आंकड़े इकट्ठा कर स्वयं इस मामले को देखने और उचित दिशा निर्देश जारी किए.
जुर्माना बढ़ाने की वैधता को चुनौती
दूसरे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिवक्ता पूजा मिश्रा ने वाहन दुर्घटनाओं को कम करने के नाम पर जुर्माना बढ़ाने की वैधता को चुनौती दी है. याची का कहना है कि दुर्घटनाएं सड़कों की खस्ता हालत, नियमों का उल्लंघन और रफ ड्राइविंग के चलते हो रही है. सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है.
27 सितम्बर को सुनवाई की संभावना
सरकार मोटर वाहन एक्ट में संशोधन कर आम लोगों पर भारी जुर्माना लगाकर जबरन वसूली कर रही है. सड़कों में गड्ढे होने और ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन न करने के कारण हो रही दुर्घटनाओं की रोकथाम के कोई उपाय नहीं किये जा रहे है. याचिका में जुर्माने राशि में कमी कर नियमों का कड़ाई से पालन करने की मांग की गई है. जनहित याचिका की सुनवाई 27 सितम्बर को होने की संभावना है.
ओएमआर सीट उपलब्ध कराने का आयोग को निर्देश
वहीं एक अन्य़ मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2017 के ओएमआर सीट 8 हफ्ते में याची को मुहैया कराने का आदेश दिया है. याची का कहना है कि उसकी कॉपी का मूल्यांकन ठीक ढंग से नहीं किया गया है. आयोग के अधिवक्ता के एस कुशवाहा ने कहा कि यदि याची मांग करेगा तो आयोग ओएम आर सीट की कॉपी उपलब्ध कराएगा. इस पर कोर्ट ने याचिका निर्देश के साथ निस्तारित कर दिया है.
हाईकोर्ट के आदेश पर दाखिल की गई याचिका
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जौनपुर के सन्तोष कुमार और 2 अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की. 20 जुलाई 18 को चयन परिणाम घोषित हुआ, जिसे देखने के बाद याची को पता चला उसे अधिक अंक मिलने चाहिए थे. उसने फरवरी 2019 में आरटीआई एक्ट के तहत अर्जी दीऔर ओएमआर सीट मांगी. कई अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट के आदेश पर सीट दी गई, जिस पर यह याचिका दाखिल की गई थी.