प्रतापगढ़: जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शहर का तो सबसे बुरा हाल है. इसके चलते शहर में 20 हॉटस्पॉट बन चुके हैं. इसके बाद भी लोगों की मनमानी नहीं थम रही है. वहीं कंटेनमेंट जोन में निगरानी करने के लिए तैनात किए गए मजिस्ट्रेट केवल कागजों में ही दिख रहे हैं. पुलिसकर्मी भी ड्यूटी से नदारत रहते हैं.
नगर पालिका सड़कों के किनारे सैनिटाइजेशन का काम तो करा रही है, लेकिन गलियों में मरीजों के मिलने के बाद भी स्वच्छता और सैनिटेइजेशन का कार्य नहीं हो रहा है. जांच के नाम पर स्वास्थ्य महकमा खिलवाड़ कर रहा है. शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने के बाद यहां पड़ोसियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. भले ही प्रशासन ने 250 मीटर के दायरे को शील कराते हुए कंटेनमेंट जोन घोषित किया है, लेकिन लोग सड़कों को बंद करने पर गलियों में से होकर हर तरफ घूम रहे हैं.
पहले हर कोने पर पुलिस कर्मी दिखते थे. अब होमगार्डों के सहारे कोरोना की जंग लड़ी जा रही है. कंटेनमेंट जोन में जिला प्रशासन द्वारा तैनात मजिस्ट्रेट तैनात हैं, लेकिन सब खेल कागज का है. मुख्य मार्गों को छोड़ दें तो गलियों में सैनिटाइजेशन का काम नहीं हो रहा है. शहर के संक्रमित इलाकों और शहर के मुख्य मार्गों पर स्थित मकानों में ही ब्लीचिंग पाउडर के घोल का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन आस-पास के लोगों को छोड़ दिया जा रहा है.
मामले में जानकारी लेने के लिए सीएमओ अरविंद कुमार श्रीवास्तव से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि जहां कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, उस एरिया के लोगों की जांच कराई जा रही है. कोरोना संदिग्धों के लिए उनकी जांच के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. यदि कोई अपनी जांच कराना चाहता है तो कोरोना कंट्रोल रूम में संपर्क कर सकता है. बीते सोमवार को देर रात तक आई रिपोर्ट में 34 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, जिसमें जिला अस्पताल के सीएमएस भी शामिल हैं.