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पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई: डीएम प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ जिले में डीएम ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने कहा कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ओर से फसलों के अपशिष्टों को जलाना प्रतिबन्धित कर दिया गया है, जिसके तहत अब कृषि अपशिष्टों को जलाने वाले दोषी व्यक्तियों के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति को लेकर अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है.

पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी नियमानुसार कार्रवाई
पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी नियमानुसार कार्रवाई
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Published : Oct 16, 2020, 9:05 PM IST

प्रतापगढ़: जिले के डीएम ने पराली जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही है. जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि अपशिष्ट जलाने वाले दोषियों के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड वसूले जाने के संबंध में निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसके तहत राजस्व विभाग के अंतर्गत लेखपालों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कृषि अपशिष्ट को जलाए जाने की घटना सामने आती रहती है. इस संदर्भ में दोषी पाये जाने में साक्ष्यों सहित नायब तहसीलदार या तहसीलदार तीन दिन में सूचित करेगा.

जिलाधिकारी डॉ. रूपेश कुमार ने बताया कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ओर से फसलों के अपशिष्टों को जलाना प्रतिबन्धित कर दिया गया है. वहीं कृषि अपशिष्टों को जलाने वाले दोषियों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हेतु अर्थदण्ड का प्रावधान भी किया गया है.

पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी ने बताया कि कृषि अपशिष्ट जलाने वाले दोषी व्यक्ति के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड वसूले जाने के संबंध में निर्देश प्राप्त है कि राजस्व विभाग के अंतर्गत लेखपालों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कृषि अपशिष्ट को जलाये जाने की घटना होती है. अब दोषी पाये जाने के संबंध में साक्ष्यों सहित नायब तहसीलदार, तहसीलदार को तीन दिन में सूचित करेगा. साथ ही नायब तहसीलदार-तहसीलदार द्वारा संबंधित दोषी के विरूद्ध तीन दिन के अन्दर सुस्पष्ट कारण बताओ नोटिस जारी किया जायेगा. इसके सम्बन्ध में नायब तहसीलदार/तहसीलदार के स्तर पर सुनवाई के बाद दोषी पाये जाने के फलस्वरूप पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड का अधिरोपण किया जायेगा.

जिलाधिकारी ने बताया कि पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने पर कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड 2500 रूपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक, लेकिन पांच एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 5,000 प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 15,000 प्रति घटना की वसूली की जायेगी.

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनपद के समस्त ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को भी पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु जागरूक किया जाए. साथ ही पराली जलाये जाने की घटना प्रकाश में आने पर उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये. जनपद के समस्त खण्ड विकास अधिकारी अपने-अपने विकास खण्ड में 10 अक्टूबर से पहले समस्त ग्राम प्रधानों की बैठक कर इसके सम्बन्ध में अवगत करा दें. समस्त खण्ड विकास अधिकारी अपने क्षेत्रीय कर्मचारियों के माध्यम से भी नियमित रूप से अनुश्रवण कराएं और कृषकों को जागरूक भी कराएं.

जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की ओर से भी यह सुनिश्चित किया जाए कि जनपद में स्थापित गौ-आश्रय स्थलों पर कृषि अपशिष्ट/पराली की आपूर्ति सुनिश्चित हो, ताकि पराली का समुचित उपयोग हो सके. उन्होंने कहा कि कृषकों की ओर से फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए उपयोगी कृषि यन्त्रों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाये, जिससे कृषि विभाग द्वारा कृषकों को अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा.

फसल कटाई से पहले प्रत्येक न्याय पंचायत/ब्लॉक/तहसील स्तर पर और जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी/प्रशिक्षण का आयोजन कराकर फसल अवशेष प्रबन्धन योजना का प्रचार प्रसार कराना भी सुनिश्चित किया जायेगा. जिलाधिकारी ने समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया कि दिये गये निर्देशों का अनुपालन कराया जाए. किसी भी स्थिति में पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्ट न जलाये जाने की कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाए. अन्यथा, दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी.

प्रतापगढ़: जिले के डीएम ने पराली जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही है. जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि अपशिष्ट जलाने वाले दोषियों के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड वसूले जाने के संबंध में निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिसके तहत राजस्व विभाग के अंतर्गत लेखपालों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कृषि अपशिष्ट को जलाए जाने की घटना सामने आती रहती है. इस संदर्भ में दोषी पाये जाने में साक्ष्यों सहित नायब तहसीलदार या तहसीलदार तीन दिन में सूचित करेगा.

जिलाधिकारी डॉ. रूपेश कुमार ने बताया कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ओर से फसलों के अपशिष्टों को जलाना प्रतिबन्धित कर दिया गया है. वहीं कृषि अपशिष्टों को जलाने वाले दोषियों को राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हेतु अर्थदण्ड का प्रावधान भी किया गया है.

पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी ने बताया कि कृषि अपशिष्ट जलाने वाले दोषी व्यक्ति के विरूद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड वसूले जाने के संबंध में निर्देश प्राप्त है कि राजस्व विभाग के अंतर्गत लेखपालों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर कृषि अपशिष्ट को जलाये जाने की घटना होती है. अब दोषी पाये जाने के संबंध में साक्ष्यों सहित नायब तहसीलदार, तहसीलदार को तीन दिन में सूचित करेगा. साथ ही नायब तहसीलदार-तहसीलदार द्वारा संबंधित दोषी के विरूद्ध तीन दिन के अन्दर सुस्पष्ट कारण बताओ नोटिस जारी किया जायेगा. इसके सम्बन्ध में नायब तहसीलदार/तहसीलदार के स्तर पर सुनवाई के बाद दोषी पाये जाने के फलस्वरूप पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति/अर्थदण्ड का अधिरोपण किया जायेगा.

जिलाधिकारी ने बताया कि पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने पर कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड 2500 रूपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक, लेकिन पांच एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 5,000 प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रूपये 15,000 प्रति घटना की वसूली की जायेगी.

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनपद के समस्त ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को भी पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु जागरूक किया जाए. साथ ही पराली जलाये जाने की घटना प्रकाश में आने पर उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये. जनपद के समस्त खण्ड विकास अधिकारी अपने-अपने विकास खण्ड में 10 अक्टूबर से पहले समस्त ग्राम प्रधानों की बैठक कर इसके सम्बन्ध में अवगत करा दें. समस्त खण्ड विकास अधिकारी अपने क्षेत्रीय कर्मचारियों के माध्यम से भी नियमित रूप से अनुश्रवण कराएं और कृषकों को जागरूक भी कराएं.

जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की ओर से भी यह सुनिश्चित किया जाए कि जनपद में स्थापित गौ-आश्रय स्थलों पर कृषि अपशिष्ट/पराली की आपूर्ति सुनिश्चित हो, ताकि पराली का समुचित उपयोग हो सके. उन्होंने कहा कि कृषकों की ओर से फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए उपयोगी कृषि यन्त्रों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाये, जिससे कृषि विभाग द्वारा कृषकों को अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा.

फसल कटाई से पहले प्रत्येक न्याय पंचायत/ब्लॉक/तहसील स्तर पर और जनपद स्तरीय कृषक गोष्ठी/प्रशिक्षण का आयोजन कराकर फसल अवशेष प्रबन्धन योजना का प्रचार प्रसार कराना भी सुनिश्चित किया जायेगा. जिलाधिकारी ने समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया कि दिये गये निर्देशों का अनुपालन कराया जाए. किसी भी स्थिति में पराली एवं अन्य कृषि अपशिष्ट न जलाये जाने की कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाए. अन्यथा, दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी.

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